देशभर में कोरोना के बढ़ते केसों के बीच जहां एक तरफ सरकारें लॉकडाउन लगाते हुए सभी संस्थानों को खुलने से रोक रही हैं और एक जगह भीड़ इकट्ठा होने से रोक रही हैं, ऐसे समय में भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन जारी है। सिंधु बॉर्डर से लेकर गाजीपुर बॉर्डर तक अब भी किसान मोर्चे पर डटे हैं। हालांकि, अब प्रदर्शनों पर सवाल उठने लगे हैं। इसी कड़ी में जब कुछ समय पहले टीवी एंकर प्रभु चावला ने सवाल किए थे, तो राकेश टिकैत ने समझदारी से जवाब देते हुए आंदोलन को किसानों के लिए अहम बता दिया था।
दरअसल, एक मौके पर आज तक के टीवी शो सीधी बात में प्रभु चावला ने भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत से पूछा था कि आंदोलन के लिए पैसा कहां से आ रहा है? इतना खर्चा कहां से आ रहा है? इस पर राकेश टिकैत ने कहा था, “कहां चाहिए पैसा। क्या खर्चा होता है। खर्चा ही बताओ क्या होता है। मैं रोटी खाता हूं। मैंने गांव से कह दिया कि जो मैं दाल-रोटी खाता हूं, वो अनाज यहां भिजवा दो। दाल-रोटी पर आंदोलन चल रहा है। क्या खर्चा आंदोलन का। पन्नी और टेंट और लग रही है।”
इसके बाद जब प्रभु चावला ने कहा कि आपके खिलाफ केस किया है उन्होंने। तो टिकैत ने कहा, “अच्छा आंदोलन करोगे तो केस न हो। ऐसा कौन सा नेता है, जो आंदोलन कर रहा है और केस नहीं हो रहे। यानी सरकार से सांठ-गांठ है उसकी। जिस पर आंदोलन में केस नहीं हो रहे उसे तो सिर पर आंदोलन का टिकट तो तभी मिलेगा न जब केस दर्ज होंगे।”
सरकार द्वारा कानून वापस लिए जाने पर अड़े हैं किसान संगठन: इसी एपिसोड में जब एंकर ने टिकैत से पूछा कि कृषि बिल को सरकार क्यों वापस लें? एक लाइन में समझा दीजिए। इसपर राकेश टिकैत ने जवाब दिया कि ‘जो घाटे की खेती हो रही है, जो गांव का आदमी है उसको बिल के बारे में कुछ भी नहीं पता है…वो अपनी फसल किस रेट में बेच रहा है। इसपर प्रभु चावला ने कहा कि एमएसपी तो घोषित की जा चुकी है। एमएसपी पर माल तो खरीदा जा रहा है। इसपर राकेश टिकैत ने कहा कि कहां खरीदा जा रहा है कौन खरीद रहा है? तब प्रभु चावला ने जवाब दिया कि उत्तर प्रदेश में खरीदा जा रहा है। इसके बाद राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसे कहने से क्या होता है, खरीदारी कागज़ों पर होती है क्या?