अगस्त 2011 में लोकपाल आंदोलन के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा अन्ना हजारे को हिरासत में लिये जाने के बाद, संसद में चल रहे बहस में बोलते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने बताया था कि किस तरह से उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिरासत में लिया था, लेकिन हिरासत में उनके साथ काफी अच्छा व्यवहार किया गया था। उन्हें किसी भी तरह की परेशानी न हो इसका ध्यान रखा गया था।

लालू प्रसाद ने सदन में कहा था, ‘पूछिए आडवाणी जी से, जब उन्हें गिरफ्तार किया था तो पूरे सम्मान के साथ मसानजोड़ के गेस्ट हाउस में रखा गया था। हेलिकॉप्टर से उन्हें भेजवाया गया था। फोन से मैं लगातार संपर्क में बना रहा कि सर कोई दिक्कत हो तो जरूर बताइएगा। आपको गिरफ्तार करना मेरी मजबूरी है क्यों कि आप बाबरी मस्जिद पर हमला करने के लिए जा रहे हैं। आडवाणी जी के परिवार के लोगों को भी मिलने की अनुमति दी गयी थी।’

गौरतलब है कि लोकपाल आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे को दिल्ली पुलिस की तरफ से हिरासत में लिया गया था और बाद में शाम तक मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर उन्हें गिरफ्तार घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद देश भर में लोगों ने इसका विरोध किया था।

लोगों के दवाब के बाद सरकार ने उन्हें रीलिजिंग बेल दे दी थी। जिसे अन्ना हजारे ने लेने से इनकार कर दिया था। अन्ना हजारे ने कहा था कि वो तिहाड़ से बाहर नहीं जाएंगे जब तक पुलिस उन्हें अनशन की इजाजत नहीं देती है। लालू प्रसाद ने भी इस मुद्दे पर केंद्र की कांग्रेस सरकार की नीतियों की आलोचना की थी।

लालू प्रसाद ने कहा था कि कम से कम हमलोगों से पूछ तो लेते अन्ना हजारे को इस तरह से हिरासत मे लेकर एक जगह से दूसरे जगह घूमाने की क्या जरूरत थी? पहले पुलिस लाइन ले जाने कि क्या जरूरत थी? पुलिस लाइन के बाद तिहाड़ जेल ले जाने की क्या जरूरत थी?