सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार (पांच अगस्त 2020) को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की नींव रख दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि का भूमिपूजन किया। राम मंदिर निर्माण की कहानी लंबी है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के नेतृत्व में लड़ी गई यह लड़ाई कोर्ट के रास्ते अब अपनी मंजिल तक पहुंची है।  करीब 30 साल पहले जब भाजपा नेता लालकृष्ण अडवाणी ने मंदिर आंदोलन के तहत रथयात्रा की शुरुआत की थी। इस रथयात्रा के बाद ही भाजपा का उदय एक ताकतवर राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर हुआ था।

ऐसे में मीडिया जगत में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का एक वीडियो घूम रहा है जिसमें वह बाबरी मस्जिद को उठाकर 5 किलोमीटर दूर रख देने की बात कह रहे हैं। वीडियो में आडवाणी कहते हैं,  ये जो रथ है लोक रथा है, जनता का रथ है जो सोमनाथ से चला है जिसने मन में संकल्प किया हुआ है कि तीस अक्टूबर को वहां (अयोध्या) पर पहुंचकर कार सेवा करेंगे और मंदिर वहीं बानएंगे। उसको कौन रोकेगा। जिसको मेरे मुसलमान भाई बाबरी मस्जिद कहते हैं उसको उठा करके 5 किलोमीटर दूर रख देंगे। अपने पैसे से अच्छी मस्जिद बना करके देंगे। लेकिन जहां पर जिस स्थान पर श्री राम का जन्म हुआ वहां पर तो हिंदुस्तान का हिंदू चाहता है एक भव्य मंदिर बने और उसमें किसी को बाधा नहीं बनना चाहिए।

बता दें कि भूमि पूजन से एक दिन पहले लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि भूमि पूजन का दिन ऐतिहासिक है और 1990 में मंदिर आंदोलन में मेरा होना सौभाग्य की बात है। अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास से ठीक एक दिन पहले वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान सोमनाथ से अयोध्या तक की ‘‘राम रथ यात्रा’’ में अपनी भूमिका का स्मरण करते हुए कहा कि यह उनके और सभी भारतीयों के लिए ऐतिहासिक और भावपूर्ण दिन है।

गौरतलब है कि 25 सितंबर 1990 को आडवाणी ने सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की, और 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था। लेकिन उससे पहले ही 23 अक्टूबर को आडवाणी को समस्तीपुर में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर गिरफ्तार कर लिया गया था। रथ यात्रा पूरी न हो पाने के बावजूद इस मंदिर आंदोलन के लिए व्यापक जनसमर्थन हासिल किया था और राजनीतिक तौर बीजेपी और मजबूत हुई थी।