योग गुरु बाबा रामदेव अक्सर अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। इस बार उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण को लेकर ऐसा बयान दे दिया है, जिससे सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ गई है। बाबा रामदेव ने एयर प्यूरीफायर को “अमीरों का चोचला” बता दिया है।

विकास और प्रदूषण को रामदेव ने जोड़ा

एजेंडा आज तक कार्यक्रम में बाबा रामदेव ने दिल्ली के प्रदूषण पर विस्तार से बात की और एयर प्यूरीफायर को लेकर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “देखिए, जब देश का विकास होता है तो आसमान में थोड़ी धूल तो उड़ती ही है। यह सच है कि दिल्ली कई बार गैस चैंबर जैसी बन जाती है। ऐसे समय में लोगों को अपने घरों में पर्दे लगा लेने चाहिए।”

बाबा रामदेव ने आगे कहा कि जब प्रदूषण ज्यादा बढ़ जाए, तो लोगों को घर में रहकर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए। उन्होंने कपालभाति करने की सलाह भी दी। हालांकि, जब उनसे एयर प्यूरीफायर को लेकर सवाल किया गया, तो वह नाराज नजर आए। उन्होंने दो टूक कहा कि यह “अमीरों का चोचला” है।

एक तरफ बाबा रामदेव एयर प्यूरीफायर पर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर में इनकी बिक्री तेजी से बढ़ रही है। पिछले कई दिनों से राजधानी दिल्ली की हवा बेहद जहरीली बनी हुई है। रविवार को कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार चला गया।

प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप (GRAP) 4 के तहत कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। इस चरण के तहत, जरूरी चीजों या आवश्यक सेवाओं को ले जाने वाले ट्रकों को छोड़कर, दिल्ली में ट्रकों की एंट्री बैन रहेगी। हालांकि, सीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 डीजल ट्रकों को इजाजत होगी। दिल्ली में रजिस्टर्ड डीजल भारी मालवाहक वाहनों (बीएस-4 और उससे नीचे) के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं। हालांकि, इसमें केवल आवश्यक सेवाओं के लिए ही छूट दी गई है।

11वीं तक हाइब्रिड मोड में चलेंगे स्कूल

सभी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। इसमें हाईवे, सड़कें, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पॉवर ट्रांसमिशन लाइनें और पाइपलाइन जैसी सार्वजनिक परियोजनाएं भी शामिल हैं। दिल्ली और सबसे ज्यादा प्रभावित एनसीआर जिलों में प्राइमरी क्लास के छात्रों के साथ-साथ छठी से नौवीं और ग्यारहवीं के छात्रों के लिए भी स्कूलों को हाइब्रिड मोड में पढ़ाई कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही, सरकारी और निजी कार्यालयों में भी 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के तहत काम करने के निर्देश दिए गए हैं। पीक आवर्स में ट्रैफिक कम करने के लिए काम के समय में बदलाव (स्टैगर्ड टाइमिंग) भी लागू की जा सकती है।

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