Suspension Of MP In India: आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उनको संसद के पूरे मानसून सत्र से निलंबित कर दिया है। राज्यसभा नेता पीयूष गोयल ने संजय सिंह को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया था। इसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया। संजय सिंह को ‘अमर्यादित व्यवहार’ के कारण निलंबित किया गया है।

क्या है पूरा घटनाक्रम-

सोमवार को मणिपुर की घटना को लेकर पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान देने की मांग कर रहा था। सभापति धनखड़ ने कहा कि इस पर प्रश्नकाल पर चर्चा की जाएगी। प्रश्नकाल कुछ देर तक ही चला, इसके बाद संजय सिंह सभापति की आसन तक जा पहुंचे। सभापति ने उन्हें वापस जाने के लिए कहा, लेकिन उसके बावजूद वो हंगामा करते रहे। इस घटनाक्रम के बाद बीजेपी नेता पीयूष गोयल ने सिंह को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद संजय सिंह को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।

हालांकि, संजय सिंह के निलंबन के बाद विपक्षी सांसदों ने पूरी रात संसद के बाहर धरना दिया। इस दौरान कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रताप गढ़ी ने मणिपुर हिंसा को लेकर एक नज्म भी सुनाई। जिसका वीडियो काफी वायरल हो रहा है।

बता दें, यह पहली बार नहीं है कि किसी विपक्षी सांसद को सदन निलंबित किया गया है। इससे पहले सांसदों के उनके अमर्यादित व्यवहार और आचरण के कारण निलंबित किया जा चुका है। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में जिसके चलते सांसदों को निलंबित कर दिया जाता है।

मार्च, 1989 में 63 सांसदों को एक साथ कर दिया गया था निलंबति

संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था। सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे। अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था। निलंबित सदस्यों के साथ अन्य चार सांसद भी सदन से बाहर चले गए।

राज्यसभा में निलंबन से संबंधित क्या हैं नियम-

राज्यसभा के मामले में, निलंबन से संबंधित नियम 256 में दिए गए हैं। इन नियमों के अनुसार, यदि सभापति आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य को निलंबित कर सकता है, जो सभापीठ के अधिकार की अपेक्षा करे या जो बार-बार और जानबूझकर राज्य सभा के कार्य में बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का दुरूपयोग करे। सभापति सदस्य को राज्य सभा की सेवा से ऐसी अवधि तक निलम्बित कर सकता है जबतक कि सत्र का अवसान नहीं होता या सत्र के कुछ दिनों तक भी ये लागू रह सकता है। निलंबन होते ही राज्यसभा सदस्य को तुरंत सदन से बाहर जाना होगा। निलंबन को वापस भी लिया जा सकता है, लेकिन उसके लिए शर्त यह होगी कि उसे अपने व्यवहार के लिए माफी मांगनी होगी।

लोकसभा में किस नियम से होता है निलंबन-

लोकसभा में नियम 373 और 374 के जरिए स्पीकर ये अधिकार हासिल होता है। लोकसभा के नियम नंबर-373 के मुताबिक, अगर लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी निलंबित कर सकता है।

सदस्यों को कौन कर सकता है निलंबित ?

सदस्यों को निलंबित करते समय अध्यक्ष या सभापति को संबंधित सदस्य के आचरण और व्यवहार को लेकर आकलन करना होता है। वो करता है कि संबंधित सदस्य को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए या नहीं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी सांसद के निलंबन का मतलब उनकी संसदीय सदस्यता का जाना नहीं है। वे निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में अपना पद बरकरार रखते हैं। हालांकि, निलंबन की अवधि के दौरान उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाता है।

सांसदों के निलंबन के कुछ चर्चित मामले-

जनवरी 2019- स्पीकर सुमित्रा महाजन ने TDP और AIADMK के कुल मिलाकर 45 सांसदों को सस्पेंड कर दिया था।

फरवरी 2014 – सदन में तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने या ना देने को लेकर बहस चल रही थी। इसी बीच हंगामा करने वाले 18 सांसदों को स्पीकर मीरा कुमार ने निलंबित कर दिया था।

मार्च 1989 – उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। अनुशासनहीनता के मामले में 63 सांसदों को एक साथ निलंबित कर दिया था।