उत्तरपूर्वी दिल्ली दंगों के आरोप में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को गिरफ्तार कर लिया है। खालिद की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए देश-विदेश के 200 से अधिक नामचीन शख्सियतों ने गुरुवार को एक बयान जारी किया है। सभी ने बयान जारी कर जेएनयू के पूर्व छात्र का गुनाह पूछते हुए उनकी रिहाई की मांग की है।
इन नामचीन हस्तियों ने खालिद की गिरफ्तारी को सोचा समझा ‘विच हंट’ बताया है और कहा है कि खालिद पर गलत तरीके से आतंकवाद विरोधी कानून (UAPA) के तहत कार्रवाई की गई है। बुद्धिजीवियों ने दिल्ली पुलिस की जांच को पूर्व-निर्धारित करार दिया है। उमर की रिहाई की मांग करने वाले बुद्धिजीवियों में नॉम चॉम्स्की, सलमान रुश्दी, अमिताव घोष, अरुंधति रॉय, राम चन्द्र गुहा, राजमोहन गांधी, फ़िल्म निर्माता मीरा नायर और आनंद पटवर्धन, इतिहासकार रोमिला थापर और इरफान हबीब, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर एवं अरुणा रॉय का नाम शामिल है।
हस्तियों द्वारा जारी किए गए बयान में कहा “हम उमर खालिद के साथ मजबूती से खड़े हैं। उमर के ऊपर देशद्रोह, हत्या की साजिश और यहां तक की आतंकवाद विरोधी कानून तक कि धाराएं लगाई गई हैं। यह किसी भी तरह की असहमति को दबाने की प्रक्रिया है, जो पिछले कुछ सालों से देश में चल रही है। यहां तक कि कोरोना महामारी के समय में भी झूठे आरोप लगाकर राजनीतिक गिरफ्तारियां जारी हैं।”
हस्ताक्षरकर्ताओं ने स्वतंत्र भारत में सीएए आंदोलन को सबसे बड़े शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन करार दिया और कहा कि उमर खालिद इस आंदोलन में युवाओं की ताकतवर आवाज बन कर सामने आए हैं। खालिद ने पूरे भारत के छोटे, बड़े शहरों में करीब 100 बैठकों में हिस्सा लिया और भारतीय युवाओं के सपनों को सबके सामने रखा। साथ ही कहा गया है कि उमर खालिद ने हाशिये पर लिए गए लोगों और शांति के लिए बात की।
पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारियों पर सवाल उठाते हुए उन्होने कहा “गिरफ्तार किए गए 21 लोगों में से 19 मुस्लिमों को झूठे आतंकवादी कानूनों के तहत आरोपी बनाया गया है, अगर उनकी पहचान को अपराध माना जाता है, तो भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रों के वैश्विक समुदाय में शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी।”
इसके अलावा जेएनयू के छात्र शारजील इमाम के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले में आईटीएस की चार्जशीट में उनकी एम-फिल थीसिस का जिक्र किया गया है। उन पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पुस्तक ‘मैं हिंदू क्यों हूं’ का उपयोग करने का आरोप लगाया। उनपर इसकी मदद से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है।