NISAR Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अगले साल दुनिया का सबसे ताकतवर सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है। इस सैटेलाइट को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के साथ मिलकर तैयार किया गया है। NISAR सैटेलाइट दुनिया का ऐसा अकेला सैटेलाइट होगा जो दुनिया के किसी भी इलाके में होने वाली आपदा की जानकारी दे सकेगा। नासा और इसरो ने मिलकर इसके रडार एंटीना रिफ्लेक्टर को तैयार कर लिया है। इसे बेंगलुरु पहुंचाया गया है।

क्या है निसान मिशन?

निसार एक तरह की ऑबजर्वेशन सैटेलाइट है। इस सैटेलाइट को दुनिया के किसी भी इलाके में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, भूस्खलन, जंगल की आग, बारिश, चक्रवाती तूफान, हरिकेन, बारिश, बिजली का गिरना, ज्वालामुखी का फटना, टेक्टोनिक प्लेट्स की मूवमेंट आदि का पता लगाने के लिए तैयार किया जा रहा है। यह सैटेलाइट ऐसी आपदाओं को लेकर पहले ही अलर्ट कर देगा।

कब होगा ये मिशन लॉन्च?

जल्द ही सैटेलाइट के रडार एंटीना रिफ्लेक्टर को बेंगलुरु में स्थित इसरो की एक फैसिलिटी में रडार सिस्टम के साथ फिर से लिंक किया जाएगा। इस सैटेलाइट को 2025 के शुरुआत में लॉन्च किया जा सकता है। अभी इसकी डेट फाइनल नहीं हुई है। 2025 के शुरुआत में इसे लॉन्च किया जाएगा। निसार सैटेलाइट को 3 से 5 साल तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 2014 में ISRO और NASA के बीच हुए एक समझौते के बाद इसका काम शुरू किया। इस सैटेलाइट में दो अलग-अलग रडार लगे हुए हैं, जिनमें से एक एस-बैंड रडार है जिसे ISRO ने विकसित किया है, और दूसरा एल-बैंड रडार जिसे NASA ने बनाया है।

सैटेलाइट के एस बैंड को अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में तैयार किया गया है। इस सैटेलाइट के लिए स्पेसक्राफ्ट बस और जीएसएलवी लॉन्च सिस्टम भी दिया है। नासा ने इसका स्पेसक्राफ्ट बस और एल-बैंड के अलावा GPS, उच्च क्षमता वाले सॉलिड डेटा रिकॉर्डर और पेलोड डेटा सबसिस्टम जैसे महत्वपूर्ण उपकरण फिट किए हैं। बता दें कि इसरो ने 1979 से अब तक 30 से अधिक पृथ्वी के लिए ऑबजरवेशन सैटेलाइट्स को लॉन्च किया है।

पाक-चीन बॉर्डर पर भी रखेगा नजर

निसार सैटेलाइट ना सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी देगा बल्कि चीन और पाकिस्तान के साथ लगी भारत की सीमाओं पर भी निगरानी रखने में मददगार साबित हो सकता है। निसार का रडार 240 किमी तक के क्षेत्रफल की एकसाफ साफ तस्वीरें ले सकेगा। यह जिस जगह की एक बार फोटो लेगा उसके बाद ठीक उसी जगह की फोटो 12 दिन बाद लेगा। जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर इसरो ने कुल 788 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस सैटेलाइट का वजन करीब 2,800 किलोग्राम होगा। इसके एंटीना रिफ्लेक्टर को सोने की परत लगी जाली से तैयार किया गया है।