Justice BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (बी आर गवई) 14 मई को जब भारत के 52 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे, तो वे गणतंत्र के इतिहास में भारतीय न्यायपालिका के टॉप पर पहुंचने वाले दूसरे दलित चीफ जस्टिस बनेंगे।
जस्टिस गवई ने अक्सर भारत के संविधान की महानता की चर्चा की है। जिसने उनके भाग्य को निर्धारित किया। इसको लेकर गवई ने कई बार चर्चा की है।
पिछले साल बीआर गवई ने अपने भाषण में कहा था कि यह पूरी तरह से डॉ. बीआर अंबेडकर के प्रयासों के कारण ही संभव हुआ कि मेरे जैसे व्यक्ति, जो एक अर्ध-झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में नगरपालिका स्कूल में पढ़ता था, इस पद तक पहुंच सका। उन्होंने अपने भाषण का समापन ‘जय भीम’ के नारे के साथ किया था।
जस्टिस गवई का परिवार भी कांग्रेस पार्टी से जुड़ा रहा है। उन्होंने इस बात को खुले तौर पर स्वीकार किया है और जुलाई 2023 में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जुड़े एक मामले से खुद को अलग करने की पेशकश की थी।
जस्टिस गवई के परिवार का कांग्रेस से क्या संबंध है?
जस्टिस गवई ने कहा कि मेरी ओर से कुछ प्रॉब्लम है। उन्होंने आपराधिक मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाने के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई से हटने की पेशकश की।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि मेरे पिता कांग्रेस से जुड़े थे। हालांकि वे कांग्रेस के सदस्य नहीं थे, लेकिन वे कांग्रेस से बहुत करीब से जुड़े थे। वे 40 से अधिक वर्षों तक कांग्रेस से जुड़े रहे। वे कांग्रेस के समर्थन से संसद सदस्य, विधानमंडल के सदस्य रहे और और मेरे भाई अभी भी राजनीति में हैं और कांग्रेस से जुड़े हैं।
उन्होंने मामले से जुड़े पक्षों से कहा कि इस पृष्ठभूमि में आपको यह निर्णय लेना होगा कि मुझे यह मामला उठाना चाहिए या नहीं।
जस्टिस गवई के पिता रामकृष्ण गवई कौन थे?
जस्टिस गवई, रामकृष्ण सूर्यभान गवई (1929-2015) के पुत्र हैं, जो बाबासाहेब अम्बेडकर के करीबी सहयोगी और नागपुर में दीक्षाभूमि स्मारक समिति के अध्यक्ष थे।
अपने अनुयायियों और प्रशंसकों के बीच “दादासाहेब” कहे जाने वाले वरिष्ठ गवई 1964 से 1998 तक महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय रहे और उन्होंने अम्बेडकरवादी संगठन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापना की।
1998 में गवई सीनियर अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से आरपीआई के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 2006 से 2011 के बीच उन्होंने बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सत्ता में थी।
‘ऑपरेशन सिंदूर भारत का न्यू नॉर्मल’, पढ़िए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की बड़ी बातें
2009 में, केरल के राज्यपाल के रूप में गवई सीनियर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन की अगुवाई वाली राज्य कैबिनेट की सिफारिश के खिलाफ जाकर केंद्रीय जांच ब्यूरो को एसएनसी-लवलीन मामले में वर्तमान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ अभियोजन कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दी थी , जो राज्य में जलविद्युत बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए एक अनुबंध में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित था।
राज्यपाल के इस फैसले का कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अदालत में समर्थन किया था। उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ केरल में विपक्ष में थी।
भाई कौन हैं? जिसका उल्लेख न्यायमूर्ति गवई ने किया था?
जस्टिस गवई के भाई डॉ. राजेंद्र गवई हैं, जिन्होंने 2009 में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष रामदास अठावले के साथ कुछ समय के लिए हाथ मिलाया था, क्योंकि मूल आरपीआई के विभिन्न गुटों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया था।
हालांकि, नेताओं के बीच मतभेद के कारण विभाजन हो गया और गवई के नेतृत्व वाले गुट ने कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर लिया, जबकि अठावले के नेतृत्व वाले गुट ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया। आरपीआई (ए) भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है और अठावले अब केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री हैं।
यह भी पढ़ें-
ओवैसी ने शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर से पूछ लिया चुभने वाला सवाल?
Shopian Encounter: जम्मू-कश्मीर के शोपियां में तीन आतंकी मारे गए, दो की हुई पहचान