किसान आंदोलन को लेकर ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी के बयान के बाद नया बवाल शुरू हो गया है। अब किसान नेता राकेश टिकैत ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है और जैक के बयान का समर्थन किया है। टिकैत ने कहा कि डॉर्सी ने जो कहा वह बिल्कुल ठीक है क्योंकि किसान आंदोलन को फेसबुक और ट्विटर पर जितनी रीच उस समय मिलनी चाहिए थी, वो मिल नहीं रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने किसान आंदोलन को कवर नहीं करने के लिए एफर्ट्स लगाए होंगे और इसके लिए प्रेशर भी बनाया होगा।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “उस समय भी ये जानकारी दी थी कि जितना रीच फेसबुक और ट्विटर पर किसान आंदलोन की आनी चाहिए, वो नहीं आ रही और ये(सरकार) लोकल स्तर पर रोकने की कोशिश करते थे। इसका जो मालिक था अब उसने स्पष्ट रूप से कह दिया है, लेकिन जो भी ऐप हैं या इस तरह की कंपनियां चलाते हैं वे किसी के प्रेशर में नहीं आते। उसने बिल्कुल ठीक कहा है कि भारत सरकार ने ये एफर्ट्स किए होंगे और ये कई बार खबरें चली भी हैं कि उनका नुकसान करेंगे अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो। उन्होंने जो कहा वो बिल्कुल ठीक कहा है।”

वहीं, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि मदर ऑफ डेमोक्रेसी में मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी लगातार कैसे किया जा रहा है उसी सच को बताने के मकसद से पीसी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान जाड़े में आंदोलन कर रह थे तो समाधान ढूंढने के बजाय उन्हें मवाली, खालिस्तानी, पाकिस्तानी और आतंकी तो कहा ही जा रहा था, साथ में ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म को धमिकायां दी जा रही थीं कि अगर आंदोलन का दिखाया तो भारत में उनका बोरिया-बिस्तर बंद कर देंगे और छापे मारे जाएंगे।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर तब तक चुप रहे जब तक कि 700 किसानों की शहादत नहीं हो गई और चुनावी नफा-नुकासन देखते हुए तीन कृषि कानून वापस लिए। इसके अलावा, कपिल सिब्बल समेत अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि डॉर्सी ने ताकतवर लोगों को बेनकाब किया है।

उधर, केंद्र में मंत्री और भाजपा नेताओं ने जैक डॉर्सी के बयान को बेबुनियाद और झूठा करार दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ट्विटर ने भारतीय कानूनों का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि भारत में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सम्मान किया जाता है लेकिन उन्हें देश के कानून का पालन करना होगा।”

इससे पहले, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक ट्वीट कर कहा कि डॉर्सी के समय ट्विटर प्रशासन को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में दिक्कत होती थी। उन्होंने कहा कि डॉर्सी और उनकी टीम के समय ट्विटर लगातार और बार-बार भारतीय कानून का उल्लंघन कर रहा था। उन्होंने 2020 से 2022 तक बार-बार कानूनों की अवमानना की और जून 2022 में ही उन्हों कानूनों का पालन करना शुरू किया था।

चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि जनवरी 2021 में कई फर्जी खबरें फैलाई गईं और सरकार ट्विटर से गलत सूचनाओं को हटाना चाहती थी क्योंकि फर्जी खबरों के आधार पर हालात और बिगड़ सकते थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जैक के समय ट्विटर पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा था। चंद्रशेखर ने कहा कि किसी के यहां छापे नहीं मारे गये और ना ही किसी को जेल भेजा गया।

जैक डॉर्सी ने यूट्यूब चैनल Breaking Points के साथ अपने इंटरव्यू में कहा था कि भारत में किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर को देश में सरकारी दबाव, कंपनी को बंद किए जाने और उसके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की धमकियों का सामना करना पड़ा था।