CJI DY Chandrachud: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने स्वतंत्रा दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर को कहा कि भारत ने 1950 में स्वतंत्रता के विकल्प को चुना था। उन्होंने कहा कि यह वह दिन है,जो हमें संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने में एक-दूसरे और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की याद दिलाता है।
बांग्लादेश का जिक्र करते हुए सीजेआई ने कहा कि आज बांग्लादेश में जो हो रहा है,वह साफतौर से इस बात की याद दिलाता है कि ये दोनों चीजें कितनी कीमती हैं, वो हमें यह याद दिलाता है कि आजादी की कीमत क्या है।
चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि आज सुबह मैं कर्नाटक के गायक का एक लेख पढ़ रहा था, जिसका नाम था ‘साउंड्स ऑफ फ्रीडम’, आज बहुत से यंग लॉयर आजादी के बाद की पीढ़ी के हैं, लेकिन आप से बहुत से लोग इमरजेंसी के बाद की पीढ़ी के हैं। स्वतंत्रता को हल्के में लेना आसान है, यह समझने के लिए कि यह कितना महत्वपूर्ण है, अतीत की कहानियों पर गौर करना जरूरी है।
सीजेआई ने कहा कि बार के वकील हमारे देश में अच्छाई की ताकत रहे हैं। कोर्ट, अधिकारों और स्वतंत्रता को जिंदा रखने के लिए काम करते हैं, बार के सदस्य लोगों और जजों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वे हमें लोगों के दर्द को देखने का मौका देते हैं।
चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि गांवों से लेकर महानगरों तक के मुकदमा करने वाले लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं। कानूनी समुदाय, कोर्ट को न्याय देने की अनुमति देता है। पिछले साल मैंने बुनियादी ढांचे में सुधार के बारे में बात की थी। हमने पिछले छह महीनों में कई बुनियादी उपाय किए।
सीजेआई ने कहा कि फाइबर ऑप्टिक्स इंटरनेट का विस्तार किया गया, चैंबर के लिए वेटिंग सूची में शामिल वकीलों के लिए क्यूबिकल्स का निर्माण किया गया। बार की महिला सदस्यों के लिए नया लाउंज बनाया गया। केवल अभी यह शुरुआत है।
चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि 25 सालों के जजशिप में मेरा अनुभव है कि कोर्ट सारी मेहनत आम आदमी की जिंदगी को आसान बनाने के लिए करती हैं। सीजेआई ने कहा कि महिलाओं की गरिमा हमारी संस्कृति हिस्सा हैं। हमारे महान कवियों ने इसका जिक्र किया है।