गुजरात में कोविड मामलों के बढ़ने पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को राज्य सरकार से मामले में कई सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि सरकार क्या कर रही है? अपने आदेश में, अदालत ने राज्य सरकार से लिखित जवाब मांगा। कोर्ट ने कहा, सरकार बताए कि COVID-19 को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा कौन से कदम उठाए जा रहे हैं?
सुनवाई की शुरुआत में, मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव करिया की पीठ ने प्रेस से मामलों की सही रिपोर्ट करने की अपील की। अदालत ने कहा, ‘ ‘हाइकोर्ट ने राज्य में लॉकडाउन लगाने के लिए कहा है’, जैसी खबरें छापी गईं, जो कि गलत हैं।’ सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने राज्य में रेमेडिसविर की सप्लाई, अस्पताल में बिस्तरों की स्थिति और ऑक्सीजन की सप्लाई के बारे में अदालत को जानकारी दी। सरकारी वकील ने राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में बताया और राज्य में स्वास्थ्य सेवा को लेकर गलत रिपोर्टों पर आपत्ति जताई।
सरकारी वकील ने कहा, “हम ईमानदारी से कह सकते हैं कि चीजें नियंत्रण में हैं। लोगों में कोई डर नहीं है।” इस तरह के मुद्दों की रिपोर्टिंग के लिए प्रेस के एक हिस्से को जिम्मेदार ठहराते हुए सरकारी वकील ने कहा कि केवल नकारात्मक तथ्यों को उजागर किया जाता है, जबकि सकारात्मक नहीं।
अदालत ने दलीलें सुनने के बाद कहा, ” राज्य में कोरोना को लेकर स्थिति काफी गंभीर है।” बेंच ने राज्य सरकार को वायरस की दूसरी और तीसरी लहरों के लिए तैयार रहने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई।
अदालत ने सरकार और लोगों के बीच संवाद में कमी की ओर इशारा किया। अदालत ने कहा, “जब तक कोरोना की चेन टूट नहीं जाती है तब तक यह खत्म नहीं होगा। पहले, लोग बाहर जाने से डरते थे, अब वे लापरवाह हो गए हैं।” अदालत ने कहा कि वे कुछ सरकारी नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं।
अदालत ने कहा, “हम सरकार की कुछ नीतियों से खुश नहीं हैं। इसमें कोई शक नहीं कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन कुछ चीजों को सुधारने की जरूरत है।”
अदालत ने मामले को गुरुवार, 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया। राज्य सरकार को 14 अप्रैल को अदालत के सवालों के जवाब देने को कहा गया है।