दीप्तीमान तिवारी, संदीप सिंह
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पिछले तीन दिनों से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ कर रही है। राहुल को सोमवार (20 जून) को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है, जबकि उनकी मां सोनिया गांधी से 23 जून को पूछताछ की जाएगी। इससे पहले एजेंसी ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी।
मामला क्या है?
ईडी का मामला निचली अदालत के एक आदेश पर आधारित है। अदालत ने आयकर विभाग को नेशनल हेराल्ड अखबार के मामलों की जांच और सोनिया-राहुल के टैक्स असेसमेंट की अनुमति दी थी। अदालत ने यह आदेश भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा साल 2013 में दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया था। स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार ने धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी की है। स्वामी के मुताबिक, गांधी परिवार ने यंग इंडियन (YI) नामक एक कंपनी बनायी। इस कंपनी में राहुल गाधी और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत है। यंग इंडिया के जरिए गांधी परिवार ने अखबार के पूर्व प्रकाशक द एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को खरीदकर नेशनल हेराल्ड के स्वामित्व वाली संपत्तियों का अधिग्रहण कर लिया।
इस मामले में निचली अदालत ने 19 दिसंबर 2015 को सोनिया और राहुल को जमानत दे दी थी। निचली अदालत में स्वामी की दलील थी यंग इंडियन ने सिर्फ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है।
नेशनल हेराल्ड के साथ क्या हुआ?
जवाहरलाल नेहरू ने द नेशनल हेराल्ड की स्थापना 1938 में की। इसका प्रकाशन असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) करता था। बाद में AJL को गैर व्यावसायिक कंपनी के रूप स्थापित किया गया। साथ ही इसे कंपनी एक्ट धारा 25 के तहत कर मुक्त भी कर दिया गया। AJL अंग्रेजी के नेशनल हेराल्ड के अलावा उर्दू में कौमी आवाज और हिंदी में नवजीवन भी प्रकाशित करता था।
कंपनी दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना और पंचकुला सहित विभिन्न शहरों में प्रमुख अचल संपत्ति का मालिक है। कर्मचारियों की अधिकता और राजस्व की कमी के कारण AJL घाटे में चला गया और अप्रैल 2008 में प्रकाशन बंद कर दिया गया। इसके बाद AJL की आय मुख्य रूप से उसके पास मौजूद विभिन्न संपत्तियों के दोहन से हुई। इसकी एक प्रमुख संपत्ति 5ए हेराल्ड हाउस, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली में स्थित थी। इस बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC)जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सर्वोच्च संस्था है, उसने कंपनी को 2010 तक इंटरेस्ट फ्री लोन दिया।
उसके बाद क्या हुआ?
2010 के अंत तक AJL का कर्ज बढ़कर 90.21 करोड़ रुपये हो गया था। अचल संपत्ति का मालिक होने के बावजूद, जिसका मूल्य उसके लोन की तुलना में बहुत अधिक बताया जाता है। लेकिन ऐसा लगता है कि AJL के प्रबंधन ने AICC का लोन चुकाने का कोई प्रयास नहीं किया। आयकर विभाग की जांच के अनुसार, एजेएल के स्वामित्व वाली संपत्तियों का उचित बाजार मूल्य (एफएमवी) 413 करोड़ रुपये से अधिक था।
23 नवंबर 2010 को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नामक नया ऑर्गेनाइजेशन बना। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स थे गांधी परिवार के वफादार सैम पित्रोदा और सुमन दुबे। कंपनी का उद्देश्य था: “एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष समाज के आदर्श के लिए भारत के युवाओं में प्रतिबद्धता पैदा करना…”
हालांकि कंपनी की संस्थापन के तुरंत बाद दोनों निदेशकों ने अपने शेयर्स कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नांडीस, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मोती लाल वोरा (अब मृतक) को हस्तांतरित कर दिया। 13 दिसंबर, 2010 को राहुल गांधी को यंग इंडियन के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया और 22 जनवरी, 2011 को सोनिया गांधी निदेशक के रूप में बोर्ड में शामिल हुईं।
मार्च 2017 तक कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी हिस्सेदारी 38-38 प्रतिशत हो गयी यानी कुल 76 प्रतिशत। वोरा और फर्नांडीस के पास हिस्सेदारी बची 24 प्रतिशत। यंग इंडिया ने तब तक खुद को एक चैरिटेबल ऑर्गनाइजेशन के तौर पर पंजीकृत कर लिया, जिससे वह 100% कर छूट के योग्य हो गया।
AJL-YI-AICC के बीच क्या हुई थी डील?
AICC ने AJL के 90 करोड़ रुपए लोन को YI को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया। यंग इंडियन ने इस अधिग्रहण के लिए महज 50 लाख रुपये का भुगतान किया। YI को सौंपे गए लोन को AJL के शेयर्स में बदल दिया गया। AJL ने लोन की रकम के बदले यंग इंडियन को 9,02,16,899 इक्विटी शेयर दे दिया। इस तरह AJL के लगभग 99.99% शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए गए।
आईटी विभाग का आरोप है कि YI के बहुमत शेयरधारक AJL की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास रखना चाहते थे। इस उद्देश्य को पाने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने रतन दीप ट्रस्ट और जनहित निधि ट्रस्ट के जरिए क्रमशः अतिरिक्त 47,513 और 2,62,411 शेयर खरीद लिए।
दिलचस्प बात यह है कि साल 2010 में यंग इंडिया मात्र 5 लाख रुपये में बनी थी। ALJ का अधिग्रहण करते वक्त यंग इंडियन पास 50 लाख रुपये भी नहीं था। अधिग्रहण के लिए यंग इंडिया को मेसर्स डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड, कोलकत्ता से 1 करोड़ रुपये का लोन लेना पड़ा था। डोटेक्स पर आयकर विभाग ने एक ऐसी कंपनी होने का आरोप लगाया था, जो कमीशन के लिए हवाला का काम करती है। 1 करोड़ रुपये के इस लोन को वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा “संदिग्ध लेनदेन” के रूप में भी चिह्नित किया गया है।
यंग इंडिया द्वारा भुगतान किए जाने से करीब दो महीने पहले ही 28 दिसंबर, 2010 को AICC ने अपना लोन यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिया था। दरअसल उस समय यंग इंडिया के पास बैंक खाता भी नहीं था। आईटी जांच में पाया गया है कि यंग इंडिया ने साल 2010 में ही AJL के स्वामित्व वाले हेराल्ड हाउस में अपना कार्यालय शुरू कर दिया था। आईटी विभाग ने कांग्रेस द्वारा एजेएल को दिए गए कथित लोन पर भी संदेह जताया है।
सौदे पर क्यों उठे सवाल?
AICC ने अपना सारा लोन यंग इंडिया को केवल 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया, यह दावा करते हुए कि यह सुनिश्चित नहीं था कि AJL ऋण वापस करने की स्थिति में होगा। आईटी जांच ने माना है कि AJL के पास सैकड़ों करोड़ की संपत्ति थी। इसस पता चलता है कि AJL लोन वापस करने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में था।
साथ ही AJL के वित्तीय वर्ष 2010-11 के लिए खातों पता चलता है कि कंपनी के प्रबंधक एक बदलाव के प्रति आश्वस्त था। चूंकि वही लोग एआईसीसी और एजेएल दोनों के पदाधिकारी थे इसलिए पहले ही यह मान लेना अजीब था कि उसका ऋण वसूल नहीं किया जा सकेगा। एक सवाल कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का भी है। मोतीलाल वोरा इस डील में शामिल तीनों संस्थानों में थे। वोरा AICC में कोषाध्यक्ष के पद पर रह चुके थे, AJL में सीएमडी थे और यंग इंडिया में शेयरधारक और निदेशक थे। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के मुताबिक, एक राजनीतिक दल को लोन देने की अनुमति नहीं है।
आयकर विभाग मामले में अभी क्या है स्थिति?
आईटी विभाग ने पहले राहुल को यंग इंडियन के निदेशक के रूप में अपनी स्थिति के बारे में जानकारी छिपाने के लिए नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया है कि यंग इंडियन में राहुल के शेयरों से 154 करोड़ रुपये की आय हुई, जबकि पहले केवल 68 लाख रुपये का आकलन किया जाता था। राहुल, सोनिया और फर्नांडीस ने इसे चुनौती देते हुए कहा कि उन्होंने कुछ भी नहीं छिपाया, सब कुछ सामने है।
क्या है कांग्रेस की सफाई?
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर देश में महंगाई, जीडीपी, सामाजिक अशांति और सामाजिक विभाजन जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना, मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अजीब और आरोप खोखले हैं। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि एजेएल दशकों से वित्तीय तनाव में था, कांग्रेस ने उसे अपना समय के साथ-साथ वित्तीय सहायता के रूप में 90 करोड़ रुपये दिया।
सिंघवी के अनुसार, AJL ने वही किया जो कर्ज में डूबी कोई भी कंपनी करती है। AJL ने अपने लोन को इक्विटी में बदला और 90 करोड़ के लोन को यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन यंग इंडियन नॉन-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है। इसलिए इसके शेयरधारकों और निदेशकों को कोई लाभांश नहीं दिया जा सकता। ऐसे में अगर संपत्ति का कोई हस्तांतरण नहीं हुआ तो मनी लॉन्ड्रिंग कहां से हो गई?