तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी का गुरुवार को निधन हो गया। कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से हृदय संबंधी बीमारी का इलाज करा रहे थे। लेकिन टीएमसी का मानना है कि उनकी मौत की जिम्मेदार भाजपा है। राजनीतिक द्वेष के चलते तृणमूल को नेताओं को जित तरह से निशाना बनाया जा रहा है, उससे सुब्रत खासे आहत थे और यही चीज उनकी जान ले गई।

सुब्रत को नारद स्टिंग टेप मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें कुछ दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था। जेल भेजे जाने के बाद उनको मई में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह जमानत पर जेल से बाहर थे। ममता के मंत्री फिरहाद हाकिम का कहना है कि ईडी-सीबीआई की जांच का दबाव उन्हें परेशान कर रहा था। जेल जाने के बाद वह टूट गए थे। ये सदमा ही उनकी जान ले गया। बीजेपी की वजह से उनकी जान गई। हाकिम ने कहा कि वह सुब्रत दा को देखकर बड़े हुए। वह मेरे बचपन के हीरो थे। ऐसे कई उदाहरण हैं जब मैंने उनसे सलाह के लिए संपर्क किया और उन्होंने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया।

उधर, बीजेपी के उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बंगाल की राजनीति में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। वो बंगाल की राजनीति के भीष्म पितामह थे। यह हम सभी के लिए एक बड़ी क्षति है।

ध्यान रहे कि बंगाल के पंचायत मंत्री मुखर्जी 75 वर्ष के थे। मुखर्जी के पास तीन और विभागों का प्रभार था। तृणमूल के वरिष्ठ नेता की इस हफ्ते की शुरूआत में ‘एंजियोप्लास्टी’ हुई थी। उनके दिल की धमनियों में दो स्टेंट डाले गए थे। मुखर्जी को 24 अक्टूबर को सांस लेने में परेशानी के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हार्ट अटैक के चलते रात नौ बजकर 22 मिनट पर उनका निधन हो गया।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि सुब्रत दा का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है। उन्होंने अस्पताल में कहा था कि मैंने अपने जीवन में कई आपदाओं का सामना किया है लेकिन यह बहुत बड़ा झटका है। मुझे नहीं लगता कि सुब्रत दा जैसा कोई दूसरा व्यक्ति होगा, जो इतना अच्छा और मेहनती होगा। पार्टी और उनका निर्वाचन क्षेत्र बालीगंज उनकी आत्मा थी। मैं सुब्रत दा का शव नहीं देख पाऊंगी।