पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में चुनाव के बाद हिंसा के मामलों की जांच के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की मदद करने के लिए 10 आईपीएस अधिकारियों को नियुक्त किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि अधिकारियों को कोलकाता पुलिस के तहत आने वाले इलाकों के साथ ही राज्य के उत्तर, पश्चिम और दक्षिण जोन के लिए तैनात किया गया है।

राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार आईपीएस अधिकारियों को कलकत्ता HC की तरफ से गठित एसआईटी की मदद करने के लिए उन्हें नियमित कार्यों से छूट दी गई है। हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए 19 अगस्त को एसआईटी के गठन का आदेश दिया था। इसमें भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सोमेन मित्रा, सुमन बाला साहू और रणबीर कुमार शामिल थे।

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हालांकि एक अन्य घटनाक्रम में पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए चुनाव के बाद हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान बलात्कार और हत्या जैसे सभी जघन्य मामलों में एनएचआरसी की समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में आरोप लगाया है कि उसे केंद्रीय एजेंसी से निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच की उम्मीद नहीं है। एजेंसी तृणमूल के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने में व्यस्त है। एक्टिंग सीजे राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने इस साल विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद पश्चिम बंगाल में जघन्य अपराधों के सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की समिति और किसी अन्य आयोग या प्राधिकरण और राज्य को जांच को आगे बढ़ाने के लिए मामलों के रिकॉर्ड तुरंत सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था। बेंच ने कहा था कि वह सीबीआई और एसआईटी दोनों की जांच की निगरानी करेगी। दोनों एजेंसियों को छह सप्ताह के भीतर अदालत को स्थिति रिपोर्ट सौंपने को कहा था।