Rajya Sabha Election: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जदयू से निष्काषित नेता और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को राज्यसभा जाने का न्यौता दिया है। हालांकि प्रशांत किशोर ने इस ऑफर पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। दरअसल, 26 मार्च को 17 राज्यों की 55 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। इसमें बंगाल की पांच सीटें हैं। इसमें चार सीटों पर फिलहाल टीएमसी के सांसद हैं। इस बार भी टीएमसी से पास चारों सदस्यों को राज्यसभा भेजने के लिए पर्याप्त बहुमत है। हालांकि सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि टीएमसी एक सदस्य को दुबारा राज्यसभा भेजने पर विचार कर रही है और तीन अन्य सीटों पर नये चेहरे उतर सकती है।

न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा में सीटों के वितरण के लिहाज से राज्यसभा की चार सीटें तृणमूल को मिलेंगी लेकिन पांचवीं सीट पर माकपा-कांग्रेस या तृणमूल-कांग्रेस का कोई उम्मीदवार जीतेगा। खाली हो रही पांच सीटों में से चार सीटों पर फिलहाल जोगन चौधरी, मनीष गुप्ता, अहमद हसन इमरान और के.डी. सिंह हैं। ये चारों तृणमूल से हैं। पांचवीं सीट पर ऋतब्रत बनर्जी हैं जो 2014 में माकपा की उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए थे लेकिन पार्टी ने 2017 में उन्हें निकाल दिया था।

तृणमूल सूत्रों की मानें तो मनीष गुप्ता को छोड़कर, बाकी तीनों उम्मीदवारों की जगह पार्टी द्वारा नए चेहरे उतारे जाने की उम्मीद है जो ‘ज्यादा सक्रिय’ होंगे। एक वरिष्ठ नेता ने पहले ही कहा था कहा,‘‘राष्ट्रीय राजनीति में परिस्थितियों को देखते हुए हमें और अधिक सक्रिय राजनेताओं और राज्यसभा सांसदों की आवश्यकता है।’’ जिन लोगों को मौका मिल सकता है उन संभावितों में दिनेश त्रिवेदी, प्रशांत किशोर, मौसम नूर और ऋतब्रत बनर्जी के नाम हैं।

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर चर्चा में आए थे। नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार अभियान को उन्होंने संभाला था और कथित तौर पर ‘चाय पे चर्चा’ जैसे कार्यक्रम उन्होंने ही शुरू करवाए थे। हालांकि चुनाव के कुछ समय बाद मनमुटाव के वजह से प्रशांत किशोर भाजपा से अलग हो गए और दूसरे-दूसरे पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बनाने लगे। कथित तौर पर कई बार उनकी रणनीति की बदौलत पार्टियों ने जीत भी हासिल की और कई बार ‘खटिया भी खड़ी हो गई।’

2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के सीएम प्रत्याशी नीतीश कुमार के लिए उन्होंने चुनाव अभियान चलाया और राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी थी। नीतीश कुुमार ने उन्हें पार्टी का सलाहकार भी बनाया और कुछ समय पहले पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। लेकिन सीएए पर मनमुटाव को लेकर हाल ही में उन्हें जदयू से निकाल दिया गया। इसके बाद 18 फरवरी से अपना अभियान शुरू किया।

2017 में उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव के दौरान किशोर ने कांग्रेस के लिए अभियान की शुरुआत की थी। ‘खटिया पर चर्चा’ जैसे कार्यक्रम शुरू करवाए, लेकिन पार्टी को करारी हार मिली। लेकिन इसी साल दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की रणनीतियां बनाई और पार्टी एक बार फिर से दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई।