गणतंत्र दिवस पर पश्चिम बंगाल में जो नजारा देखने को मिला वो सभी को भौचक कर गया। सरस्वती पूजा के एक कार्यक्रम में ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंदा बोस के बीच बेहद दोस्ताना ताल्लुकात दिखे। पश्चिम बंगाल की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस और राजभवन के बीच का रिश्ता बेहद तल्ख रहा। हालांकि बीजेपी को दोनों के बीच की ये नजदीकी रास नहीं आई।

शुभेंदु अधिकारी प्रोग्राम में पहुंचे ही नहीं। कलकत्ता के राजभवन में सरस्वती पूजा पर आयोजित ‘Hatey Khori’ इवेंट में दोनों को एक साथ देखा गया। गवर्नर ने इस मौके पर वायदा किया कि वो साप्ताहांत के कुछ घंटों में बंगाली सीखेंगे। उनका कहना था कि रविंदर नाथ टैगोर की काबुलीवाला उन बेहतरीन रचनाओं में से एक है जो उन्होंने पढ़ीं।

पश्चिम बंगाल की राजनीति में तब के वहां के गवर्नर और फिलहाल उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और फायर ब्रांड नेता ममता बनर्जी के बीच का 36 का आंकड़ा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय लंबे अरसे तक बना रहा। अक्सर तब के राज्यपाल सरकारी कामों में अपने दखल को लेकर सुर्खियों में रहते थे। ममता भी कोई मौका नहीं छोड़ती थीं उन पर पलटवार करने का।

लेकिन कुछ अर्से से बंगाल की राजनीति में जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है। राजभवन से ममता के संबंध अच्छे होते दिख रहे हैं। सीवी आनंद बोस के आने के बाद से ये समीकरण बदला। उन्होंने सरकार और अपने बीच एक लक्ष्मण रेखा खींच रखी है। वो सरकार के फैसलों पर न तो टिप्पणी करते हैं और न ही उनमें दखल देने का काम। ये बात ममता बनर्जी को खासी रास आती है। यही वजह है कि उनके और राजभवन के बीच में एक सौम्य रिश्ता कायम होता दिख रहा है। जो जगदीप धनखड़ के गवर्नर रहते कभी नहीं दिखा।

नए गवर्नर का ममता ने भी दिल खोलकर स्वागत किया। अभी तक सरकार की तरफ से कोई ऐसा बयान नहीं आया जिसमें राजभवन की गरिमा को ठेस लगे। लेकिन ये बात पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के साथ तमाम बीजेपी को रास नहीं आ रही। तभी वो किनारा कर गए। बीजेपी के दिग्गज नेता ने स्वप्न दास गुप्ता ने भी गवर्नर हाउस को अपनी प्राथमिकताएं तय करने की नसीहत दी थी। शुभेंदु ने भी ट्वीट करके बताया कि वो क्यों सरस्वती पूजा के इस समारोह में नहीं गए। उनका कहना था कि सरकार घोटालों में लिप्त है।