पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने पार्टी विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से कोलकाता में राजभवन में मुलाकात की और उन्हें बंगाल में हो रही कई अनुचित घटनाओं से अवगत कराया और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर बात की।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट कर जानकारी दी, ‘प्रतिपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी सहित प्रतिपक्ष के 50 विधायकों ने मुझे एक ज्ञापन दिया है और उस ज्ञापन में उन्होंने पश्चिम बंगाल की भयावह स्थिति का वर्णन किया है और प्रमुख रूप से चार बातों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।’ राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पिछले 10 साल में दल-बदल कानून के तहत कोई कारगर कार्रवाई नहीं हुई। तिलजला और चंदन नगर की घटनाएं, दो सांसदों, विधायकों के साथ क्या हुआ? ये अराजकता है!

गौरतलब है कि ऐसे में जब तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये कई नेता पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद फिर से तृणमूल कांग्रेस में जाने की तैयारी में हैं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि जो लोग बिना त्याग किए सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं, उन्हें जाने के लिए कहा जाएगा।

वहीं मेघालय के पूर्व राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने कई ट्वीट करके हाल ही में भाजपा से तृणमूल कांग्रेस में वापसी करने वाले मुकुल रॉय को ‘‘ट्रोजन हॉर्स’’ (काठ का घोड़ा) बताया तथा मुकुल का करीबी होने के लिए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर कटाक्ष किया।

घोष ने शुक्रवार को कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के जाने से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ‘‘कुछ लोगों को पार्टियां बदलने की आदत होती है।’’

उन्होंने बांग्ला भाषा में ट्वीट किया, ‘‘अगर किसी को भाजपा में रहना है, तो उसे बलिदान देने होंगे। जो केवल सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं, वे भाजपा में नहीं रह सकते। हम उन्हें नहीं रखेंगे।’ पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा की बंगाल इकाई में उथल-पुथल का दौर चल रहा है क्योंकि पार्टी के भीतर आरोप-प्रत्यारोप जारी है।

माना जाता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता चुनाव के दौरान दरकिनार किए जाने और बाद में पार्टी मुख्यालय के निर्देश पर टीएमसी के नए नेताओं को लाए जाने से विक्षुब्ध थे और उनका मानना है कि बंगाल चुनावों को सही से नहीं संभालने की जिम्मेदारी न केवल दलबदुलओं पर है बल्कि राज्यों की राजनीति नहीं समझ पाने को लेकर भाजपा नेतृत्व पर भी है।