CAA Notification: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने आखिरकार अपने घोषणापत्र में किया हुआ वादा पूरा कर दिया। सोमवार शाम नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए का नोटिफिकेशन गृह मंत्रालय ने जारी कर दिया। अब नागरिकता संशोधन कानून पूरे देश में लागू हो गया है। सीएए दिसंबर 2019 के दोनों सदनों से पास हो गया था। इसके बाद चार साल तक मोदी सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। अब इसे देशभर में लागू कर दिया गया।
अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए अल्पसंख्यकों को देश की नागरिकता मिल सकेगी। लेकिन, दो राज्यों केरल और पंश्चिम बंगाल ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया। इन दोनों राज्यों का कहना है कि अगर सीएए और एनआरी के जरिये किसी की नागरिकता छीनी जाती है, तो हम इसे लागू नहीं होने देंगे।
बंगाल और केरल सरकार ने किया विरोध
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि अगर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के जरिये किसी की नागरिकता छीनी जाती है तो हम चुप नहीं बैठेंगे। इसका कड़ा विरोध करेंगे। साथ ही, उन्होंने यह कहा कि ये बंगाल है, यहां हम सीएए को लागू नहीं होने देंगे।
वहीं, केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि हमारी सरकार कई बार दोहरा चुकी है कि हम सीएए को यहां लागू नहीं होने देंगे। जो मुस्लिम लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है। इस सांप्रदायिक कानून के विरोध में पूरा केरल एक साथ खड़ा हुआ नजर आएगा।
क्या स्टेट गवर्नमेंट कानून लागू करने से मना कर सकते हैं
यह समझने से पहले संविधान के कुछ अहम प्रावधानों को समझ लेते हैं। असल में संविधान में संघ, राज्य और समवर्ती सूची है। इसमें कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों के अधीन कौन-कौन से क्षेत्र आते हैं।
संघ सूची में वे मामले आते हैं, जिनमें कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद के पास होता है। इसमें रक्षा, विदेश, जनगणना और रेल व नागरिकता जैसै 100 विषय शामिल हैं। राज्य सूची में कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य के पास होता है। इसमें पुलिस, कोर्ट, स्वास्थ्य, सड़क जैसे 61 विषय शामिल हैं।
अब बात करते हैं समवर्ती सूची की तो इसमें उन मामलों को शामिल किया गया है जिन पर कानून बनाने का हक केंद्र और राज्य दोनों को है। अगर किसी मामले पर केंद्र कानून बना लेता है तो उसे राज्यों को मानना ही होगा। उसके पास मनाही करने का कोई विकल्प नहीं है। इसमें 52 विषय आते हैं। कुल मिलाकर देखें तो केंद्र की सूची में आने वाले विषयों पर राज्य सरकारों को फैसला लेने का अधिकार नहीं है।
बता दें कि यह मामला नागरिकता से संबंधित है तो इसे किसी हाईकोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है। जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि सीएए से जुड़ा कोई भी मामला हाईकोर्ट में नहीं सुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर हैं। इस पर कोर्ट ने अभी तक कोई भी फैसला नहीं दिया है।