देश के कई हिस्सों में बारिश का सिलसिला जारी है। दिल्ली-एनसीआर के कुछ हिस्सों में शनिवार को बारिश हुई। शुक्रवार से रुक-रुककर हो रही बारिश से सड़कों पर जलभराव हो गया है। मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले दो से तीन दिन भारी बारिश की चेतावनी दी है। इसके साथ ही आईएमडी ने हिमाचल प्रदेश में शनिवार को भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

28, 31 जुलाई और 1 अगस्त को ओडिशा में भारी से बहुत भारी वर्षा (115.6 से 204.4 मिमी) होने की संभावना है। दिल्ली, पश्चिम राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, सौराष्ट्र और कच्छ में हल्की बारिश संभव है। पूर्वोत्तर भारत, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, झारखंड के कुछ हिस्सों, विदर्भ, तटीय कर्नाटक, केरल, दक्षिण गुजरात, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।

मौसम विभाग ने शनिवार को दिल्ली के लिए ‘येलो अलर्ट’ जारी करते हुए शहर में हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होने और आमतौर पर बादल छाए रहने का अनुमान जताया। आईएमडी के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार सुबह न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से दो डिग्री कम है। आईएमडी ने बताया कि शनिवार सुबह तक शहर में 15 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। दिल्ली में यमुना नदी अभी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है और शनिवार सुबह दस बजे उसका जलस्तर 205.36 मीटर दर्ज किया गया।

राजस्थान में बारिश से जलभराव

राजस्थान में राजधानी जयपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों में बीते 24 घंटे से रुक-रुककर हो रही मूसलाधार बारिश के कारण शनिवार को कई इलाकों में जलभराव की समस्या सामने आई। मौसम विभाग का कहना है कि जयपुर और भरतपुर संभाग में बारिश का दौर अभी जारी रहेगा। विभाग के मुताबिक, बीते 24 घंटे में जयपुर और दौसा जिलों में कहीं-कहीं अति भारी बारिश, जबकि राजसमंद, बारां, सीकर, अजमेर, सवाई माधोपुर, भरतपुर और बीकानेर जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई।

उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर जिलों में औसत से कम बारिश

उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में मानसून के इस मौसम में अभी तक औसत से कम बारिश दर्ज की गई है। भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के आंकड़ों के मुताबिक, मानसून की शुरुआत के बाद जून के पहले सप्ताह से 28 जुलाई तक उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 40 में औसत से कम बारिश हुई है। इन जिलों में से ज्यादातर पूर्वी उत्तर प्रदेश के हैं। आंकड़ों के अनुसार, कौशांबी, कुशीनगर और देवरिया में लंबी अवधि के औसत की तुलना में लगभग 70 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।