मानसून इस साल करीब एक सप्ताह देर से आया है। भारतीय मौसम विभाग ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। विभाग ने कहा कि तूफान के बावजूद इसके देश के बाकी हिस्सों में आगे बढ़ने की संभावना है। अरब सागर में बारिश होने तथा तेज हवाओं के कारण नौ जून से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लागू कर दिया है।
विभाग ने कहा कि अगले 48 घंटों के दौरान यह अरब सागर, दक्षिण भारत, बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर भारत में भी आगे की ओर बढ़ेगा। दक्षिण पश्चिम मानसून ने अपने सामान्य समय से एक सप्ताह की देरी के बाद भारत में दस्तक दे दी। मौसम विभाग ने मानसून के केरल आगमन की घोषणा की है।
मौसम विज्ञानियों ने इससे पहले कहा था कि चक्रवात ‘बिपरजाय’ मानसून को प्रभावित कर रहा है और केरल में इसकी शुरुआत ‘मामूली’ होगी। मौसम विभाग के अधिकारी आर के जेनामणि का कहना है कि यों तो केरल में मानसून की हल्की व धीमी शुरुआत बुधवार को ही हो गई थी, लेकिन मानसून की घोषणा के लिए जितनी बारिश होनी चाहिए वह गुरुवार सुबह साढेÞ आठ बजे हुई।
विभाग ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून गुरुवार को केरल पहुंच गया। बयान में कहा गया है कि मानसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल और दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।
दक्षिण पश्चिम मानसून आम तौर पर केरल में एक जून तक पहुंच जाता है और सामान्यत: एक जून से करीब सात दिन पहले या बाद में यह पहुंचता है। मई के मध्य में आइएमडी ने कहा था कि मानसून केरल में चार जून के आसपास पहुंच सकता है। निजी मौसम पूर्वानुमान केंद्र ‘स्काइमेट’ ने केरल में सात जून को मानसून के आगमन का अनुमान जताया था और कहा था कि मानसून सात जून से तीन दिन आगे पीछे आ सकता है।
आइएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख भिन्न रही है, जो 1918 में समय से काफी पहले 11 मई को और 1972 में सबसे देरी से 18 जून को आया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में मानसून के आगमन में देरी भी इस मौसम के दौरान देश में कुल वर्षा को प्रभावित नहीं करती। मौसम विभाग ने पहले कहा था कि ‘अलनीनो’ की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।
उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य या उससे कम बारिश होने की उम्मीद है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में इस दौरान औसत की 94 से 106 फीसद सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है। मानसून की अवधि के दौरान औसत के 90 फीसद से कम बारिश को ‘वर्षा में कमी’ माना जाता है, 90 फीसद से 95 फीसद के बीच बारिश को ‘सामान्य से कम वर्षा’, 105 फीसद से 110 फीसद के बीच होने वाली बारिश को ‘सामान्य से अधिक वर्षा’ और 100 फीसद से ज्यादा होने वाली बारिश को ‘अत्यधिक वर्षा’ माना जाता है।