West Bengal News: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र के वक्फ संशोधन अधिनियम पर अपनी सरकार की स्थिति का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि कानून बीजेपी द्वारा बनाया गया था और उनकी सरकार राज्य में “वक्फ संपत्तियों को किसी को भी छूने की अनुमति नहीं देगी।”

कई महीनों तक बंगाल सरकार संसोधित अधिनियम को लागू करने से मना करती रही। हालांकि, अब उसने स्वीकार कर लिया है। राज्य ने पांच दिसंबर की डेडलाइन तक 82000 वक्फ संपत्तियों की डिटेल सेंट्रल पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश जारी किए हैं। इस फैसले की कई अल्पसंख्यक समूहों और संगठनों ने आलोचना की है।

कुछ लोग धर्म के आधार पर लड़ रहे- सीएम ममता

मालदा जिले के गाजोल में बोलते हुए ममता बनर्जी ने इन आलोचनाओं का जवाब दिया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग धर्म के आधार पर लड़ रहे हैं। वक्फ संपत्ति कानून बीजेपी ने बनाया है। हमने विधानसभा में इसका विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया, जो अभी चल रहा है। जब तक हम यहां हैं, हम किसी को भी धार्मिक स्थलों को छूने नहीं देंगे। चाहे कोई भी हो, मैं किसी को भी धार्मिक स्थलों को छूने नहीं दूंगी। मैं सांप्रदायिक राजनीति नहीं करती। मुझे सभी धर्मों से प्यार है।”

मंगलवार को टीएमसी मंत्री और जमीयत उलेमा-ए-हिंद बंगाल के अध्यक्ष सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा था कि “अगर वक्फ संपत्तियां छीन ली गईं तो मुसलमान चुप नहीं बैठेंगे।”

मुख्यमंत्री ने एसआईआर की प्रक्रिया की भी आलोचना की और लोगों से गणना फॉर्म सही ढंग से जमा करने, सुनवाई में शामिल होने और प्रवासी मजदूरों से घर लौटने का आग्रह किया। इस प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा कि वे 12 तारीख से हर ब्लॉक में कैंप लगाएंगी, ताकि जिन लोगों का नाम हटाया जाएगा, वे वहां पहुंच सकें।

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लोगों को प्रक्रिया का पालन करने की सलाह देते हुए सीएम बनर्जी ने कहा, “आज मैंने सुना कि सर्वर डाउन हैं। चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कोई धक्का-मुक्की नहीं होगी। अगर किसी के पास दस्तावेज नहीं हैं, तो वे उन्हें वहां से प्राप्त कर लेंगे। तृणमूल कार्यकर्ताओं को लोगों और बीएलओ की मदद के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।”

एसआईआर के कारण 39 की मौत हो चुकी- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने कहा, “महाराष्ट्र में नौ बीएलओ की मौत हो चुकी है, गुजरात में तीन-चार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बंगाल में भी। यहां, एसआईआर के कारण 39 की मौत हो चुकी है और 13 अस्पतालों में गंभीर रूप से भर्ती हैं। तीन अन्य ने आत्महत्या की कोशिश की और अब ठीक हो रहे हैं। आप चुनाव से पहले ऐसा क्यों कर रहे हैं? नागरिकों को फिर से साबित करना होगा कि वे इस पद के लिए योग्य हैं। आप जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं ताकि चुनाव से छह महीने पहले, सरकारी मशीनरी काम न कर सके और ठप हो जाए।”

उन्होंने इस कवायद के समय के पीछे राजनीतिक मंशा का आरोप लगाया। ममता बनर्जी ने कहा, “फरवरी में चुनाव की तारीखों का ऐलान होगा, इसलिए उन्होंने जानबूझकर तीन महीने पहले ऐसा किया। (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह ने ऐसा इसलिए किया है ताकि या तो आप SIR का पालन करें या सरकार बंद कर दें। हम सब कुछ करेंगे। हम लड़ेंगे। बांग्ला को दबाया नहीं जा सकता। अगर लोग आपको वोट देते हैं तो लोकतांत्रिक तरीके से बंगाल पर कब्जा करें।”

केंद्र को इतनी जल्दी क्यों है- ममता बनर्जी

बनर्जी ने आगे कहा, “हमने कभी नहीं कहा कि SIR या जनगणना मत करो। इसमें समय लगता है। चुनाव के दौरान, आपको (केंद्र को) इतनी जल्दी क्यों है? आपने नोटबंदी से करोड़ों कमाए और अब SIR के नाम पर वोटबंदी करना चाहते हैं। कितने लोग मारे गए, बताओ। कब रुकोगे? कोई बांग्ला बोलता है तो उसे बांग्लादेशी कहते हो। जो आजादी के दौरान यहां आए, उन्हें बांग्लादेशी कैसे कहते हो? क्या सोनाली बांग्लादेशी है? आपने एक गर्भवती महिला को भी वापस धकेलने के लिए BSF का इस्तेमाल किया। हमने केस दायर किया और कोर्ट ने कहा कि उसे वापस भेजा जाना चाहिए।”

बंगाली भाषी प्रवासियों के उत्पीड़न का सीएम ने लगाया आरोप

बनर्जी ने दूसरे राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों के उत्पीड़न का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “ओडिशा में भी हमें परेशान किया जा रहा है। मुझे अच्छा लगता है जब लोग अपनी भाषा में बात करते हैं। फिर आप राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश में हम पर हमला और उत्पीड़न क्यों करते हैं? हमें जवाब चाहिए। हम बांग्ला में बात करेंगे, लेकिन आप मुझे मेरी भाषा से नहीं हटा सकते। मुझे कोई आपत्ति नहीं है जब कोई गुजराती बोलता है।”

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