बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर विचार करने से साफ मना कर दिया। इस याचिका में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के योगदान को नजर अंदाज करने से रोकने की मांग की गई थी। यह याचिका पंकज कुमुदचंद्र फडनीस ने दायर की थी। हाई कोर्ट ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता ने इस साल सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था। वहां पर भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, गौरतलब है कि फडनीस ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि गांधी सावरकर के खिलाफ टिप्पणी करके मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन कर रहे हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने कहा, ‘यह कोर्ट राहुल गांधी को इस जनहित याचिका की विषय-वस्तु को पढ़ने और सावरकर के योगदान के बारे में अज्ञानता को दूर करने के निर्देश नहीं दे सकता।’
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याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
हाई कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि विनायक सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने गांधी के खिलाफ पहले ही मानहानि का मामला दायर किया हुआ है। यह केस पुणे की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेंडिंग है। फडनीस ने अपनी याचिका में गांधी के लंदन में दिए गए उस भाषण पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि सावरकर मुसलमानों को देशद्रोही मानते थे।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दिया ये तर्क?
खुद अपनी पैरवी करते हुए फडनीस ने कोर्ट में तर्क दिया, ‘हमारे लोकतंत्र में, एक विपक्ष का नेता कल प्रधानमंत्री बन सकता है। इसलिए, वह (गांधी) प्रधानमंत्री बन सकते हैं।’ इस पर कोर्ट ने मौखिक तरीके से टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हमें नहीं पता कि वह प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं। आप यह सब जानते हैं।’ हालांकि फडनीस ने कहा, ‘लेकिन एक संवैधानिक पद पर आसीन होने के नाते, वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकते। वह भ्रम पैदा करके देश के युवा मन को गुमराह कर रहे हैं। युवा पीढ़ी प्रधानमंत्री की तुलना में विपक्ष के नेता पर ज्यादा विश्वास करती है। वह भ्रम पैदा नहीं कर सकते। बेंच ने याचिका पर विचार करने से साफ मना कर दिया। आत्मदाह करने वाली छात्रा की मौत पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल