देश की डंवाडोल अर्थव्यवस्था के बीच अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने चेताया है कि भारत बड़ी मंदी के छोर के बेहद नजदीक है। 1991 के आर्थिक संकट से धीमी विकास दर की तुलना करते हुए उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विकास दर दुरुस्त करने के लिए मांग (डिमांड) को बढ़ावा देने पर हमें जोर देना होगा।

ये बातें उन्होंने The Indian Express के ‘एक्सप्रेस अड्डा’ कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में असल दिक्कत मांग से जुड़ी है। आपको मांग पर खासकर बढ़ावा देना पड़ेगा। सोमवार को बनर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में असल दिक्कत मांग से जुड़ी है। आपको इसी पर खासकर बढ़ावा देना पड़ेगा।

बकौल बनर्जी, “मेरे मैक्रोनॉमिक दोस्तों द्वारा सेंसर किए जाने के जोखिम को ध्यान में रखते हुए महसूस करता हूं कि हमें बजट संबंधी घाटे और लक्ष्यों को पूरा करने की बात भूल जानी चाहिए। यहां तक कि हमें महंगाई से जुड़े टारगेट्स को भी भुला देना चाहिए। थोड़ा सा अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ने दीजिए।”

कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से जुड़े केंद्र के फैसले को लेकर उन्होंने टिप्पणी की और कहा, “मुझे नहीं लगता है कि यह कदम फिलहाल अर्थव्यवस्था को बचा सकेगा। कॉरपोरेट सेक्टर के पास कैश की कोई कमी नहीं है। और, वे इसे अच्छे कारण के लिए इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।”

उनके मुताबिक, “जिस रियल एस्टेट सेक्टर ने शहरी और ग्रामीण सेक्टर को आपस में जोड़ने में अहम भूमिका निभाई, वह भी तेजी से धीमा पड़ गया है। ऐसे में इस सेक्टर में काम करने वाले युवाओं को अपने-अपने गांव लौटना पड़ रहा है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इकनॉमिक्स पर बनर्जी बोले- पीएम का दिल ट्रांसफर स्कीम्स में रहता है। बता दें कि बनर्जी ने Esther Duflo और Michael Kremer के साथ संयुक्त रूप से 2019 Nobel Prize in Economics जीता है।

‘आर्थिक वृद्धि 5% के साथ 11 साल का न्यूतम स्तर देख सकती है’: देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर पांच प्रतिशत पर आ सकती है। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2018-19 में वृद्धि 6.8 प्रतिशत थी। विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों की कमजोरी का वृद्धि पर असर होने का अनुमान है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि कम होना है। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दो प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में इस क्षेत्र की वृद्धि 6.2 प्रतिशत थी।

ऐसे ही निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी घटकर 3.2 प्रतिशत पर आने का अनुमान है। 2018-19 में यह 8.7 प्रतिशत रही थी। इस बार की वृद्धि दर 2008-09 के बाद सबसे कम रह सकती है। नवंबर, 2018 में जारी पुरानी श्रृंखला के जीडीपी आंकड़ों के अनुसार उस वर्ष जीडीपी वृद्धि 3.1 प्रतिशत थी।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2019)में जीडीपी वृद्धि सालना आधार पर पांच प्रतिशत और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर,19) में 4.5 प्रतिशत रही थी। ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि पूरे वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर निचले स्तर पर रहेगी।