15 साल पहले पहली उड़ान भरने वाला स्‍वदेशी लड़ाकू विमान तेजस बेंगलुरु में कार्यक्रम के बाद भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया। तेजस के निर्माण और एयरफॉर्स में शामिल होने में कई साल लगे। हालांकि तेजस का वायुसेना में शामिल होना बड़ा कदम है। यह पुराने हो चुके मिग-21 की जगह लेगा। तेजस अपनी तरह का सबसे हल्‍का सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। इससे हवा से जमीन, हवा से हवा और एंटी शिप मिसाइल लगाई जा सकेंगी। वायुसेना का कहना है कि 2017 से इसे अग्रिम चौकियों पर तैनात किया जाएगा।

तेजस एयरक्राफ्ट: 10 बातें जिनके कारण पूरे देश को होगा इस स्‍वदेशी लड़ाकू विमान पर गर्व

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तेजस को दुनिया का सबसे छोटा लाइटवेट मल्‍टी रोल सिंगल इंजन फाइटर एयरक्राफ्ट माना जाता है। यह सुपरसोनिक फाइटर की श्रेणी में शामिल हैं। (photo: ADA)

तेजस 42 प्रतिशत कार्बन फाइबर कंपोजिट, 43 प्रतिशत एल्‍युमिनियम अलॉय और टाइटेनियम अलॉय से बना है। एक तेजस विमान पर 250 करोड़ रुपये की लागत आती है। साल 2016 की शुरुआत में तेजस को बहरीन इंटरनेशनल एयर शो में शामिल किया गया था। इसके अलावा एयरो इंडिया शो 2015 और आयरन फीस्‍ट 2013 में इसे शामिल किया गया था। यह एयरक्राफ्ट 2205 किलोमीटर प्रति घंटा एफओसी वर्जन और 2000 किलोमीटर प्रति घंटा आईओसी वर्जन पर उड़ सकता है।

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अब यहां देखिए तेजस किस तरह से हवा में उड़ता है और आसानी से गुलाटी मार सकता है। वीडियो में इसकी खासियत आसानी से नजर आती हैं।