चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया कि आखिरी वक्त में उन्होंने कांग्रेस में शामिल न होने का फैसला क्यों किया। प्रशांत किशोर ने बताया कि वो कांग्रेस में जाने का मन बना चुके थे और पार्टी में भी इसको लेकर काफी चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उनके बीच कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही थी, इसलिए उन्होंने कांग्रेस में जाने के विचार को टाल दिया।
टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में जाने को लेकर चलीं खबरों और उसके बाद उनके पार्टी में शामिल न होने के पीछे कारणों के बारे में पूछा गया तो, उन्होंने कहा, ”दो साल की बातचीत के बाद लगभग सारी बातों पर सहमति बन गई थी, उन्होंने (कांग्रेस) अपने पार्टी के बीच भी इसको लेकर काफी चर्चा की थी। लेकिन दो-तीन मुद्दे ऐसे हो गए जिनके कारण हम लोगों की सहमति उस वक्त नहीं बन पाई। तब यह तय किया गया कि अभी इसको छोड़ देते हैं, बाद में देखा जाएगा।”
कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ होने की खबरों पर प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा, ”मैं उनके साथ कभी नहीं था, जब मैं बंगाल का चुनाव देख रहा था, उस वक्त मुझे एडवाइजर नियुक्त कर दिया गया। न मैं कभी पंजाब गया और न ही मैंने वह कार्यभार संभाला। मेरी एक-दो मीटिंग हुई थी, तब मैंने कहा था कि मुझे नहीं लगता है कि आपकी राह आसान होने वाली है। तब कैप्टन ने कहा था कि सामने तो विपक्ष है ही नहीं। फिर मैंने उनको बताया था कि विपक्ष आपके अंदर (पार्टी में) ही है। ”
हालांकि, नवजोत सिंह सिद्धू का जिक्र आते ही प्रशांत किशोर ने उनको लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। प्रशांत किशोर ने कहा कि वे इस मामले को लेकर कोई बयानबाजी नहीं करना चाहते हैं।
वहीं, प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘हिंदू और हिंदुत्व’ वाले पर कहा, ”ये गैरजरूरी है और ये जाल में फंसने जैसा है। इससे भाजपा की बांछें खिल जाएंगी।” प्रशांत किशोर ने कहा, ”अगर आप एक कांग्रेस नेता हैं और अपने भाषण का ज्यादातर हिस्सा ‘हिंदू-हिंदुत्व’ की बात करने में लगाते हैं, तो यह बीजेपी को सूट करता है।”