विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता अशोक सिंघल नहीं रहे। सिंघल कुछ दिनों से बीमार थे। वह गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था। 17 नवंबर की दोपहर उन्होंने आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार 18 नवंबर की शाम चार बजे दिल्ली में निगम बोध घाट पर किया जाएगा। इससे पहले 17 नवंबर की रात 10 बजे से दिल्ली स्थित आरएसएस दफ्तर में उनके अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे।
सिंघल अयोध्या में राम मंदिर बनवाने की मुहिम चलाने में आगे रहने वाले नेताओं में थे। 80 के दशक के मध्य में उन्होंने यह मुहिम छेड़ी थी। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उन्होंने अस्पताल में भी कहा था कि अभी उन्हें राम मंदिर बनते देखना है। पर उनकी यह ख्वाहिश अधूरी ही रही। वैसे उन्हें इस बात का अहसास जरूर रहा होगा कि मंदिर बनना इतना आसान नहीं है। इस साल एक अक्तूबर को सिंघल का 89वां जन्मदिन था। उस दिन दिल्ली में एक कार्यक्रम किया गया था। कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई बड़े नेता मौजूद थे। पर किसी ने राम मंदिर का जिक्र तक नहीं किया था। उनके सहयोगी विष्णु हरि डालमिया ने जरूर कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार को सिंघल के जन्मदिन पर बतौर तोहफा अयोध्या में राम मंदिर देना चाहिए। पर सिंघल खुद जब बोलने के लिए मंच पर आए तो उन्होंने भी इस मुद्दे का जिक्र नहीं छेड़ा था।

2014 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत से लोकसभा चुनाव जीती थी, तो सिंघल ने इसे देश में क्रांति की शुरुआत बताया था। जुलाई 2015 में पूर्व आरएसएस प्रमुख के.एस. सुदर्शन पर लिखी गई एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, ‘मैं साईं बाबा के आश्रम गया था। साईं बाबा ने मुझसे कहा कि 2020 तक पूरा भारत और 20130 तक संपूर्ण विश्व हिंदू हो जाएगा।’