प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वीडियोकॉन-ICICI लोन केस में चंदा कोचर व अन्य लोगों के खिलाफ मुंबई की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की। खास बात है कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए ईडी “पांच ट्रंक” सहायक दस्तावेजों के साथ, मंगलवार को मुंबई की एक विशेष अदालत के सामने पहुंची।

ईडी ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, चंदा कोचर के खिलाफ कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केस दर्ज किया था। इस मामले में उनके पति दीपक कोचर, और वीडियोकॉन समूह के प्रमुख वेणुगोपाल धूत व अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। अदालत ने कहा कि यह सूचित किया जाता है कि इन पांच ट्रंक दस्तावेजों की जांच अभी होनी बाकि है। ऐसे में इन्हें रिकॉर्ड में लिया जाता है।

मामले की सुनवाई अब 11 नवंबर को होगी। सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कम से कम आठ अन्य इकाइयां, जिनमें न्यू पॉवर रिन्यूएबल्स लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (VIEL), वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड और सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं, को चार्जशीट या “अभियोजन शिकायत” में नामित किया गया है।

ईडी की तरफ से दर्ज किया गया कोचर परिवार के खिलाफ मामला वीडियोकॉन समूह को चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 1,875 करोड़ रुपये के ऋण की कथित अवैध मंजूरी से संबंधित है। ईडी के अनुसार, यह पाया गया कि लोन्स को रिफाइनेंस कर वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) और इसकी समूह कंपनियों को 1,730 करोड़ रुपये तक के नए लोन मंजूर किए गए।

बाद में नहीं चुकाने की वजह से जून 2017 से ये लोन्स आईसीआईसीआई बैंक के गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गए। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली एक समिति ने 2009 में VIEL को 300 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया था। इस राशि में से, कम से कम 64 करोड़ रुपये VIEL द्वारा NuPower Renewables को हस्तांतरित किए गए थे, जो कोचर के पति के स्वामित्व वाली कंपनी थी।

यह 8 सितंबर, 2009 को, बैंक द्वारा ऋण के वितरण के एक दिन बाद किया गया। ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि इन “दागी धन” से NuPower Renewables द्वारा 10.65 करोड़ रुपये का शुद्ध राजस्व उत्पन्न किया गया था।