योग गुरु बाबा रामदेव फिर से विवादों में हैं। उन्होंने इस बार ऐलोपैथी को बेकार बताया था। ‘WhatsApp’ पर फॉर्वर्ड एक मैसेज पढ़ते हुए कहा था कि लाखों लोग ऐलोपैथी दवाओं से मरे हैं।
याद दिलाने पर बोल पाए Fabiflu: अपने एक योग शिविर के दौरान पतंजलि आयुर्वेद के सर्वेसर्वा ने कोरोना काल में बुखार के लिए दी जाने वाली दवा का भी जिक्र किया। मैसेज के हवाले से उन्होंने कहा कि वह दवा फालतू है। हालांकि, रामदेव को उसका नाम तक याद न था। आसपास बैठे लोगों ने उन्हें याद दिलाया, तो वह एक बार में ठीक से दवाई का नाम भी न ले पाए। पूछने लगे, “वो क्या दे रहे हैं, बुखार के लिए? फेवी…फैबी…।” सही नाम बताए जाने के बाद वह फैबीफ्लू कह पाए।
क्या था वॉट्सऐप मैसेज में?: रामदेव ने जो मैसेज पढ़कर सुनाया था उसके मुताबिक, “गजब का तमाशा है! ऐलोपैथी, ऐसी स्टूपिड और दीवालिया साइंस है कि पहले रेमडेसिविर, एंटीबायटिक्स, स्टेरायड्स फेल हुए। प्लाजमा पर भी रोक लगी। बुखार के लिए क्या दे रहे हैं? (पूछते हुए)…फैबीफ्लू, वह भी फेल है!”
“केंद्र की चुप्पी पर हैं हैरान”: आईएमए के सेक्रेट्री जनरल जयेश लेले ने अंग्रेजी अखबार ‘दि टेलीग्राफ’ से कहा, “केंद्र की चुप्पी पर हम हैरान हैं। वीडियो को आए दो दिन से अधिक हो चुके हैं। आखिर स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर कुछ कहा क्यों नहीं? नीति आयोग (केंद्र सरकार का थिंक टैंक) भी क्यों नहीं बोला?” बता दें कि देश में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था आईएमए ही है।
नहीं थी गलत मंशा- पतंजलि की सफाईः आईएमए के आरोपों के बाद हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने कहा कि रामदेव डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों का “बेहद सम्मान” करते हैं जो महामारी के ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में दिन-रात काम करते हैं। “वह उन्हें और कार्यक्रम में भाग ले रहे कई अन्य सदस्यों को व्हाट्सऐप पर मिले एक फॉर्वर्ड मैसेज को पढ़ रहे थे।” ट्रस्ट के महासचिव आचार्य बालकृष्ण (रामदेव के करीबी और पुराने सहयोगी) के हस्ताक्षर वाले बयान में आगे बताया गया, “योग गुरु की आधुनिक विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति से चिकित्सा करने वालों के खिलाफ कोई गलत मंशा नहीं है। उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाया जा रहा है वह गलत और निरर्थक है।”
यूं पनपा था पूरा विवाद: दरअसल, रामदेव के इस मसले से जुड़ा वीडियो वायरल होने के बाद भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने कहा था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को योग गुरु के खिलाफ ऐक्शन लेना चाहिए, क्योंकि उन्होंने एलोपैथी के खिलाफ ‘‘गैर जिम्मेदाराना’’ बयान दिए और वैज्ञानिक चिकित्सा की छवि बिगाड़ी। वहीं, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने भी रामदेव के बयान की निंदा करते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी।
देखें, योग शिविर के दौरान रामदेव ने और क्या कहा था: