जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार कांग्रेस की मार्गरेट अल्वा को हरा चुके हैं। आज कांग्रेस को पटखनी देने वाले धनखड़ कभी कांग्रेस से ही विधायक थे। राजनीति की शुरूआत उन्होंने जनता दल से की थी। फिर कांग्रेस में गए और उसके बाद बीजेपी में। बीजेपी में जाने के बाद उन्हें बंगाल का राज्यपाल बनाया गया और फिर देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतार दिया, जहां उन्हें एक आसान जीत मिली है।
ऐसा रहा समीकरण: जगदीप धनखड़ का मुक़ाबला विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से था। एनडीए उम्मीदवार ने 346 वोटों से ये चुनाव जीता है। वोटों की गिनती के बाद धनखड़ को जहां 528 वोट मिले हैं वहीं अल्वा के खाते में 182 वोट आए। कुल 725 वोटों में से 15 को अवैध करार दिया गया। जगदीप धनखड़ के चुनाव जीतने से पहली बार देश को ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाला उपराष्ट्रपति मिला है। इसके अलावा वह दूसरे ऐसे उपराष्ट्रपति होंगे, जिनका जन्म देश के आजाद होने के बाद हुआ है।
कुछ विपक्षी दलों ने भी दिया था समर्थन: गठबंधन के अन्य दलों और कुछ विपक्षी दलों ने भी धनखड़ को समर्थन दिया। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ को भाजपा, जेडीयू, अपना दल (सोनेलाल), बीजेडी, बसपा, एआईएडीएमके, वाईएसआर कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी, एनपीपी, एमएनएफ, एनडीपीपी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले), शिवसेना (शिंदे गुट), अकाली दल जैसे दलों का समर्थन मिला।
वहीं, दूसरी ओर विपक्ष से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को कांग्रेस, एनसीपी, वामदल, नेशनल कॉन्फ्रेंस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, टीआरएस, झामुमो का समर्थन मिला। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने भी अल्वा का समर्थन किया। वहीं टीएमसी इस चुनाव से दूर रही।
एनडीए,आईआईटी, सिविल सर्विसेज में हुआ था चयन: जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक किया और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी किया। धनखड़ का चयन एनडीए में हुआ था लेकिन वीक आईसाइट की वजह से नहीं जा पाए।
इतना ही नहीं, धनखड़ का चयन एनडीए के अलावा आईआईटी और सिविल सर्विसेज में आईएएस के लिए भी हुआ था लेकिन उन्होंने सबकुछ छोड़कर वकालत चुनी। वह राजस्थान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकीलों में जगदीप धनखड़ की गिनती होती है।
ऐसा रहा है सियासी सफर: जगदीप धनखड़ ने साल 1989 में पहली बार जनता दल के टिकट पर झुंझुनूं से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में वह रिकॉर्ड वोटों से जीते और लोकसभा पहुंचे। धनखड़ को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह भी मिली। बाद में वो कांग्रेस में चले गए और अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। धनखड़ 1993 से 1998 तक कांग्रेस से राजस्थान विधानसभा के सदस्य भी रहे और किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। साल 2003 में जगदीप धनखड़ बीजेपी में शामिल हुए। जुलाई 2019 में वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त किए गए।
ब्रेन हेमरेज से हुई बेटे की मौत: जगदीप धनखड़ की शादी 1979 में सुदेश धनखड़ के साथ हुई। दोनों के दो बच्चे हुए, बेटा दीपक और बेटी कामना। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही। 1994 में जब दीपक 14 साल का था, तब उसे ब्रेन हेमरेज हो गया। इलाज के लिए दिल्ली भी लाए, लेकिन बेटा बच नहीं पाया। बेटे की मौत ने जगदीप को पूरी तरह से तोड़ दिया। धनखड़ बेटे को याद करके आज भी रोने लगते हैं।