भारत का उपराष्ट्रपति, देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद, शायद एकमात्र ऐसा पद है, जिसे नियमित वेतन का लाभ नहीं मिलता है। उपराष्ट्रपति को संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में अपनी भूमिका के लिए वेतन मिलता है। राजग उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार पी सुदर्शन रेड्डी नौ सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में हैं। यह चुनाव 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण हो रहा है। उपराष्ट्रपति का वेतन और भत्ते संसद अधिकारियों के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1953 के तहत निर्धारित किए जाते हैं।
अधिकारियों ने बताया, उपराष्ट्रपति के लिए किसी विशिष्ट वेतन का प्रावधान नहीं। इसके बजाय, उन्हें राज्यसभा के सभापति के रूप में उनकी भूमिका के अनुरूप पारिश्रमिक और लाभ मिलते हैं। उपराष्ट्रपति, कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका में कार्यभार संभालने पर, भारत के राष्ट्रपति का वेतन पाने का हकदार होता है। ऐसी स्थिति में, उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति नहीं रह जाता।
विशिष्ट वेतन का प्रावधान नहीं
राज्यसभा के सभापति को प्रति माह चार लाख रुपए का वेतन मिलता है। उपराष्ट्रपति को कई सुविधाएं और भत्ते मिलते हैं, जैसे नि:शुल्क आवास, चिकित्सा देखभाल, रेल और हवाई यात्रा, लैंडलाइन कनेक्शन, मोबाइल फोन सेवा, व्यक्तिगत सुरक्षा और स्टाफ।
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पूर्व उपराष्ट्रपति को लगभग दो लाख रुपये प्रति माह पेंशन, टाइप-8 बंगला, एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक, एक चिकित्सक, एक नर्सिंग अधिकारी और चार निजी परिचारक मिलते हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति को मिलता है दो लाख रुपए पेंशन
पूर्व उपराष्ट्रपति की मृत्यु की स्थिति में, उनके जीवनसाथी को जीवनपर्यन्त एक छोटे टाइप-7 मकान का अधिकार प्राप्त होता है। अचानक इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ ने हाल ही में राजस्थान के पूर्व विधायक के रूप में पेंशन के लिए आवेदन किया था। 1993 से 1998 तक कांग्रेस विधायक के रूप में किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले धनखड़ को जुलाई 2019 तक पूर्व विधायक के रूप में पेंशन मिलती थी।
पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि 74 वर्षीय धनखड़ पूर्व विधायक होने के नाते 42,000 रुपए प्रति माह पेंशन के हकदार हैं।