Vice President Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पड़ोसी देशों में हिंदुओं की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की। धनखड़ ने कहा कि इस मुद्दे पर वैश्विक चुप्पी है। जिसमें कुछ तथाकथित नैतिक उपदेशक, मानवाधिकारों के संरक्षक भी शामिल हैं।
नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा, “वे पूरी तरह से बेनकाब हो चुके हैं। वे ऐसी चीज़ के लिए भाड़े के सैनिक हैं जो मानवाधिकारों के बिल्कुल विपरीत है। लड़कों, लड़कियों और महिलाओं के साथ किस तरह की बर्बरता, यातना और दर्दनाक अनुभव हुआ है, इसे देखिए। हमारे धार्मिक स्थलों को अपवित्र होते हुए देखिए।”
किसी देश का नाम लिए बगैर धनखड़ ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में हिंदुओं के सामने आ रहे मानवीय संकटों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
जगदीप धनखड़ यह बयान बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हाल ही में हुए हमलों के बाद आया है। जिसकी विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह एक बयान में निंदा करते हुए इसे निंदनीय घटना बताया था। उन्होंने कहा कि ऐसे उल्लंघनों के प्रति बहुत अधिक सहनशील होना उचित नहीं है। एक के बाद एक प्रकरणों से यह सबूत मिल रहे हैं कि ‘डीप स्टेट’ उभरती शक्तियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई में शामिल है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में बोलते हुए, जो पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश से गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए नागरिकता को तेज़ करता है। धनखड़ ने कहा कि इस अधिनियम ने अपने देश में उत्पीड़न से बचने वालों को शरण दी है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम का प्रमुख उदाहरण देखें। संसद के अधिनियम द्वारा सामूहिक रूप से व्यक्त सामाजिक उदारता का इससे बेहतर संकेत नहीं हो सकता।
धनखड़ ने कहा कि मानवाधिकारों का इस्तेमाल विदेश नीति के उपकरण के रूप में या दूसरों को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से अमेरिका का हवाला देते हुए कहा कि नाम उजागर करना और शर्मिंदा करना कूटनीति का एक घटिया रूप है। आपको केवल वही उपदेश देना चाहिए जो आप करते हैं। हमारे स्कूल सिस्टम को देखें- हमारे यहां उस तरह की गोलीबारी नहीं होती है जो कुछ विकसित होने का दावा करने वाले देशों में नियमित रूप से होती है। उन देशों के बारे में सोचें जो मानवाधिकारों के ऐसे भयानक उल्लंघनों पर भी आंखें मूंद लेते हैं।