कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने की मांग कर कहा कि इसका विरोध करने वाले सुधार विरोधी हैं। उनका कहना है कि जी-23 की कोई भूमिका नहीं है। यह अप्रासंगिक हो गया है, क्योंकि सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस में सुधार शुरू हो चुका है।

मोइली ने पीटीआई से कहा कि कुछ नेताओं ने जी-23 का दुरुपयोग किया है। अगर कोई इसे प्लेटफार्म बनाने पर कायम रहता है तो यह निहित स्वार्थ के लिए होगा। मोइली ने कहा कि कांग्रेस देश की राजनीति का मुख्य मुद्दा है। यह भाजपा को टक्कर देने वाली ताकतों की धुरी है। सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी फिर से अपनी ताकत का एहसास कराने जा रही है। उनका मानना है कि मोदी नीत भाजपा को कांग्रेस ही टक्कर दे सकती है।

गौरतलब है कि मोइली उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी। मोइली की इन टिप्पणियों का महत्व इसलिए है क्योंकि जी-23 के कई नेताओं ने या तो इससे दूरी बना ली है या पिछले साल उनके द्वारा लिखे गए पत्र के बाद चुप हो गए हैं। सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं के उस समूह में से जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए हैं।

मोइली ने जी-23 समूह को कायम रखने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि हममें से कुछ लोगों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर केवल पार्टी के अंदर सुधारों के लिए किए थे। हमारा ध्येय पार्टी का पुनर्निर्माण था, इसे बर्बाद करना नहीं। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, कि कुछ लोगों ने जी-23 का दुरुपयोग किया। सोनिया जी ने जैसी ही पार्टी के भीतर सुधार करने का विचार किया तब से हमने जी-23 की अवधारणा को नकार दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में सुधारों की शुरुआत होने के साथ ही जी-23 की कोई भूमिका नहीं रह गई और वह अप्रांसगिक हो गया है।

मोइली ने कहा कि अगर कुछ नेता जी-23 पर कायम रहते हैं तो इसका मतलब है कि उनमें से कुछ का कांग्रेस पार्टी के खिलाफ काम करने का निहित स्वार्थ है। वह इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी अगर जी-23 का फिर से इस्तेमाल करता है तो वह कांग्रेस और उसकी विरासत का बहुत बड़ा नुकसान कर रहा है। ऐसे कार्य कांग्रेस के दुश्मनों की मदद करेंगे।