उत्तर प्रदेश सरकार के लिखित आश्वासन के बाद रामपुर के 80 वाल्मीकि परिवारों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया है। सरकार ने गुरुवार को इन परिवारों को भरोसा दिया कि तोपखाना इलाके में स्थित उनके घरों को नहीं तोड़ा जाएगा। अांबेडकर जयंती पर इन वाल्मीकियों ने कथित मुस्लिम टोपी पहन कर प्रशासन से कहा था कि अगर इस्लाम कबूल करने से उनके घर बच जाते हैं तो वे ऐसा करने को तैयार हैं।

आंदोलनकारियों का कहना था कि एक सरकारी मुसलमान कर्मचारी ने उनसे आकर कहा था कि मंत्री आजम खां उनके घर बचा सकते हैं, अगर वे अपना धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लें। इस बारे में खबरें छपने के बाद क्षेत्र में काफी तनाव फैल गया था और हिंदू संगठनों ने सरकार और प्रशासन को चेतावनी दी थी। इस मामले में काफी आलोचना के बाद मंत्री आजम खां को सफाई देनी पड़ी थी और बुधवार को उन्होंने कहा था कि उन्हें पनाह मिले तो वे देश तक छोड़ने को तैयार हैं। लेकिन गुरुवार को सरकार की ओर से भरोसा मिलने के बाद यह विवाद समाप्त हो गया। आंदोलनकारियों ने कहा कि अब चूंकि मामला समाप्त हो गया है, इसलिए वे अब भी हिंदू हैं।

सूत्रों ने बताया कि वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों ने यह आश्वासन मिलने के बाद अपनी नौ दिन से चल रही भूख हड़ताल समाप्त कर दी कि उनके घर गिराने के खिलाफ एक प्रस्ताव 15 दिन के अंदर राज्य सरकार को भेजा जाएगा। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और उपजाति आयोग के उपाध्यक्ष राजकुमार वेरका ने हड़ताल कर रहे लोगों से बात की और कहा कि जिला प्रशासन 15 दिन में उनके घर गिराने के खिलाफ अपना प्रस्ताव भेजेगा।

कुमार ने कहा कि वे खुद इस बाबत आधिकारिक कार्रवाई पर नजर रखेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि अंतिम मुहर के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा और समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले भी वापस लिए जाएंगे। कुमार ने कहा कि हड़ताल पर बैठे सात में तीन लोगों की हालत खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एमएल पुष्कर की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है। कुमार के अलावा पुलिस महानिरीक्षक विजय सिंह मीणा और जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक भी बातचीत के दौरान मौजूद थे।

इस बीच आंदोलनकारी परिवारों ने कहा कि आजम खां से उनका कोई टकराव या विवाद नही है। उन्होंने इस बात को गलत बताया कि आजम खां के इशारे पर उन्हें धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। आजम खां ने बुधवार को ‘देश छोड़ने’ का जो बयान दिया था, उस पर प्रतिक्रिया जताते हुए इन परिवारों ने कहा कि यह विवाद अब खत्म हो गया है और आजम खां इस तरह का कोई अप्रिय फैसला नहीं करें।

वाल्मीकि बस्ती बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े धरम वाल्मीकि ने ईएनएस से बातचीत में कहा कि आजम खां भी यहीं रहें और हमें भी चैन से रहने दें। यह हमारा देश है और हम अब भी हिंदू धर्म में हैं। इस बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और उपजाति आयोग के उपाध्यक्ष राजकुमार वेरका ने कहा कि जिन आंदोलनकारियों के खिलाफ प्रशासन ने मुकदमे बनाए हैं, उन्हें वापस लेने को कहा गया है।

उधर रामपुर में दलितों के धर्मांतरण की कोशिश में राज्य के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खां का नाम आने के बीच विपक्षी दलों ने सरकार से दलितों की समस्या का निवारण करने की मांग की है। प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल खत्री ने एक बयान में कहा कि बस्ती उजाड़ना गलत बात है और जहां तक धर्मांतरण का सवाल है तो उसमें कई बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी खबर है कि किसी के बहकावे में आकर दलितों ने खुद धर्मांतरण का प्रस्ताव दिया था और इसके लिए कोशिश की थी लेकिन धर्मगुरु ने यह कहकर मना कर दिया था कि चूंकि इस्लाम कुबूल करने का उनका आधार लालच है, लिहाजा धर्म परिवर्तन नहीं होगा।

खत्री ने कहा कि सरकार को दलितों की मांगों पर विचार करके न्याय संगत कार्रवाई करनी चाहिए। दूसरी ओर भाजपा ने राज्य की सपा सरकार पर उद्योगपतियों के हितों के लिए काम करने का आरोप लगाया। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आरोप लगाया कि सपा सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री जो धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर भाजपा पर हमले करते रहते हैं, उन्होंने दलित समुदाय को अपनी जमीन और मकान बचाने के लिए धर्मांतरण का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्थिति का सही मूल्यांकन नहीं किया। सरकार को दलित बस्ती उजाड़ने से पहले वहां के बाशिंदों के पुनर्वास का इंतजाम करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भाजपा गरीबों के लिए खड़ी है और हमेशा खड़ी रहेगी।

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