उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में सियासी गलियारों में फिर से चर्चा तेज हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) हाईकमान फिर उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदल सकती है। बुधवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाक़ात भी की है।

द इंडियन एक्सप्रेस में छपे कॉलम दिल्ली कॉन्फिडेंशियल के मुताबिक भाजपा हाईकमान को यकीन नहीं है कि तीरथ सिंह रावत चुनाव जीत सकेंगे। रावत ने अप्रैल में इस पहाड़ी राज्य की बागडोर संभाली थी। ऐसे में उन्हें 10 सितंबर से पहले विधायक बनना होगा। क्योंकि इसकी छह महीने की अवधि समाप्त हो रही है और यह भाजपा नेतृत्व की रातों की नींद हराम करता दिख रहा है।

रावत ने बुधवार देर शाम भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की, लेकिन उनके भविष्य पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। अंतिम समय में चुनाव से बचने के लिए भाजपा नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकती है। ऐसे में पार्टी के सामने अन्य विकल्पों को देखते हुए कई उम्मीदवारों ने खुद को राष्ट्रीय राजधानी में तैनात कर लिया है।

ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व उपचुनाव के लिए जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है, क्योंकि यह निष्कर्ष निकाला है कि गंगोत्री की सीट रावत के लिए सुरक्षित नहीं है। बीजेपी की राज्य इकाई को भी पता नहीं है कि क्या हो रहा है, क्योंकि वहां के नेताओं को जाहिर तौर पर लूप में नहीं रखा गया है।

हालांकि एक वर्ग ने सुझाव दिया है कि राज्य के चुनाव को आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन पार्टी नेतृत्व स्पष्ट रूप से अभी इसपर फैसला नहीं ले पा रहा है। वहीं कोविड के चलते प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। ऐसे में बीजेपी को नहीं यकीन है कि तीरथ सिंह रावत चुनाव नहीं जीत सकेंगे। इस चुनाव के परिणाम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह चुनाव अगले साल यूपी चुनावों पर अपना प्रभाव छोड़ सकता है।