यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग में फंसे मजदूर 100 घंटे बीत जाने के बाद भी बाहर नहीं निकाले जा सके हैं। जानकारी सामने आ रही है कि मजदूरों में से कुछ को सिरदर्द, मतली और उल्टी जैसी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों ने कहा कि सुरंग के बाहर तैनात डॉक्टरों को अंदर फंसे लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए कहा गया है। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) आरसीएस पंवार ने कहा कि अंदर फंसे कुछ लोगों ने मामूली सिरदर्द और मतली की शिकायत की है।

किन हालात में हैं मजदूर

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) आरसीएस पंवार ने कहा कि अंदर फंसे लोगों में से कुछ ने हल्के सिरदर्द और मतली की खबर दी है। पंवार ने कहा, “मजदूरों की मदद के लिए हम छह इंच के पाइप के जरिए आवश्यक दवाएं, मल्टीविटामिन, ग्लूकोज और सूखे फल भेज रहे हैं।” उत्तरकाशी जिला अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर डॉ. बीएस पोखरियाल ने कहा कि वह फंसे हुए मजदूरों से बात करने के लिए दुर्घटनास्थल पर गए थे।

उत्तरकाशी जिला अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर डॉ. बीएस पोखरियाल ने कहा कि वह फंसे हुए मजदूरों से बात करने के लिए दुर्घटनास्थल पर सुरंग में गए थे। उन्होंने कहा, ”मैं छह इंच के पाइप के जरिए मजदूरों से बात करने गया था मैंने उनसे उनका हालचाल और स्वास्थ्य के बारे में पूछा. जिन मजदूरों से मैंने बात की उनमें से एक ने हल्के सिरदर्द की शिकायत की। हम आवश्यक दवाओं और मल्टीविटामिन की आपूर्ति कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें पर्याप्त प्रोटीन और उचित पोषण मिले जिसके लिए उन्हें चना, मुरमुरा दिया जाता है।” इस बीच सुरंग के अंदर फंसे लोगों के परिवार के सदस्यों और सहकर्मियों ने बचाव टीमों से उनके स्वास्थ्य को देखते हुए बचाव अभियान में तेजी लाने को कहा है। कोटद्वार (उत्तराखंड) के फंसे हुए श्रमिक गब्बर सिंह के बेटे आकाश नेगी ने कहा, “बचाव टीमों को अब कार्रवाई करनी चाहिए और मेरे पिता और अंदर फंसे अन्य लोगों को बाहर निकालना चाहिए। इसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। उन्हें तुरंत बाहर लाया जाना चाहिए।”