अफगानिस्तान के हेलमंड प्रांत में मंगलवार (8 अक्टूबर) को AIQS के चीफ असीम उमर को अमेरिकी व अफगान सेना ने जॉइंट ऑपरेशन में मार गिराया था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, वह उत्तर प्रदेश के संभल का रहने वाला सनाउल हक था, जो 1998 से लापता था। उसकी मौत की खबर संभल पहुंची तो भाई रिजवान उल-हक से काफी लोगों ने पूछा कि असीम आपके कौन लगते हैं? ऐसे में परिजनों ने जवाब दिया, ‘‘हम किसी असीम को नहीं जानते। हमें तो सनाउल मालूम है। सन्नू बुलाते थे हम उसे।’’

मंगलवार को मारा गया असीम उमर: भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, सनाउल हक ही असीम उमर था। वह अफगानिस्तान के हेलमंड प्रांत स्थित तालिबानी कंपाउंड में अमेरिकी व अफगान सेना के संयुक्त हमले में मारा गया। अफगानिस्तान नेशनल डायरेक्ट्रेट ऑफ सिक्योरिटी ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की थी।

National Hindi News, 10 October 2019 Top Headlines Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक

बुधवार को संभल पहुंची थी खबर: बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में सनाउल के मारे जाने की खबर बुधवार (9 अक्टूबर) सुबह उसके संभल स्थित घर तक पहुंची। परिजनों ने बताया कि 1998 में उसने आखिरी बार अपने परिवार से संपर्क किया था, जिसके बाद वह भारत से लापता हो गया था। वहीं, 2014 में वह मौलाना असीम उमर के रूप में भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (AQIS) का चीफ बनकर सामने आया था।

घरवालों ने कही यह बात: असीम के भाई रिजवान (51) ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘‘जो शख्स करीब 20 साल से लापता था, उसके लिए दुख जताने का कोई कारण ही नहीं है। उसकी मौत की खबर मिलने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हमें लगता है कि ऐसे किसी शख्स को हम जानते ही नहीं हैं।’’ बता दें कि असीम अपने 5 भाई-बहनों में सबसे छोटा था। परिजनों के मुताबिक, वह काफी फ्रेंडली था। साथ ही, पढ़ाई में काफी तेज और क्रिकेट खेलना पसंद करता था।

देवबंद में मौलवी बना था असीम: रिजवान के मुताबिक, ‘‘असीम ने संभल के हिंद इंटर कॉलेज से 8वीं तक की पढ़ाई की थी। इसके बाद वह धर्मगुरु बनने की तैयारी करने लगा और उसने शहर में एक मदरसा जॉइन कर लिया। बाद में वह देवबंद स्थित दारुल उलूम सेमिनरी चला गया और मौलवी बन गया।’’ रिजवान ने बताया कि असीम छुट्टियों में घर आता था, लेकिन मेरी और उसकी मुलाकात अक्सर नहीं होती थी, क्योंकि मैं दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था। वहीं, एमएससी करने के बाद मैं एनसीआर में ही नौकरी ढूंढने लगा था।

https://youtu.be/McNtbf61P-Q

1998 में हुई थी आखिरी मुलाकात: रिजवान ने बताया, ‘‘असीम ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और 1998 के दौरान वह आखिरी बार घर आया था। उसने सऊदी अरब जाने के लिए एक लाख रुपए मांगे थे, जहां उसने अरबिया से इंग्लिश ट्रांसलेटर का काम करने की इच्छा जाहिर की थी। उस वक्त काफी लोग वहां जा रहे थे।’’ बता दें कि रिजवान इस वक्त संभल के एक प्राइवेट स्कूल में मैथ व साइंस पढ़ाते हैं।

घरवालों ने नहीं दिए थे पैसे: बताया जाता है कि असीम के पिता ने उसे पैसे देने से साफ इनकार कर दिया, जिससे वह नाराज हो गया और घर छोड़कर चला गया। इसके बाद उसने परिवार से भी नाता तोड़ लिया। बता दें कि असीम का परिवार आज भी संभल के दीपा सराय इलाके के उसी घर में रह रहा है। रिजवान के मुताबिक, जब असीम लापता हो गया तो उसे ढूंढने की कोशिश की गई। हमें पता लगा कि वह देवबंद में भी नहीं है। मेरे छोटे भाई इत्तेशाम ने उसे काफी तलाश किया, लेकिन असीम का कुछ पता नहीं चला। हालांकि, हमने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई, क्योंकि हमें लगता था कि वह अपनेआप वापस आ जाएगा।