खुद को मुगलों का वंशज बताने वाले हैदराबाद के राजकुमार याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पूर्वजों के पाप (मंदिर ध्वंस) पर माफी मांगी है। रविवार (15 अक्टूबर) को वह हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि के साथ वहां पहुंचे, जहां उन्होंने सिर पर चरण पादुका रखीं और प्रतीकात्मक रूप से प्रायश्चित किया। तुसी इसके अलावा जानकीघाट बड़ा स्थान पर हुई बैठक में भी पहुंचे, जो राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष और रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजयशरण के संयोजन में कराई गई थी।

‘जमीन बाबर की, पर मंदिर के लिए करूंगा भेंट’: राजकुमार ने उस दौरान राम मंदिर के लिए शिला पूजन में भी हिस्सा लिया। आगे स्थानीय मीडिया को उन्होंने बताया, “राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद टाइटल सूट का है। एक पक्ष के तौर पर यह जमीन बाबर की है। मगर उनके वंशज के रूप में मैं इसे मंदिर (राम लला के) के लिए राष्ट्रपति को भेंट कर दूंगा।” हैदराबाद के राजकुमार ने इसके अलावा जल्द से जल्द मंदिर के निर्माण कार्य शुरू होने के लिए कामना की।

मंदिर निर्माण में देरी पर जताई नाराजगी: राम लला के दर्शन करने के बाद उन्होंने बताया कि राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू ने से पहले वहां वह सोने की पहली ईंट रखेंगे। हालांकि, स्वामी चक्रपाणि ने मंदिर के निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इस बाबत खुली धमकी दे डाली कि अगर वर्ष 2019 से पहले मंदिर का निर्माण कार्य नहीं चालू किया गया, तो आमने-सामने की जंग छिड़ जाएगी।

ताज पर भी दावा पेश कर चुके हैं तुसीः हैदराबाद के राजकुमार खुद को मुगल शासकों का वंशज बताते हैं। वह इससे पहले बाबरी मस्जिद पर अपना दावा पेश कर चुके हैं। उन्होंने उस बारे में सुन्नी वक्फ बोर्ड को सूचना भी दी थी। पर बोर्ड ने उनके दावे को सिरे से खारिज कर दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका दावा है कि यह संपत्ति मुगलकालीन है, लिहाजा उस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने इससे पहले आगरा के ताज महल को भी अपनी संपत्ति बताया था।

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हैदराबाद के प्रिंस ने रविवार को अयोध्या में राम लला के दर्शन भी किए (फोटोः फेसबुक/@Princeofmoghals)

फैजाबाद का अयोध्या धाम रखा जाए नया नामः उधर, फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या धाम रखने की मांग भी ज्वलंत हुई। महंत जन्मेजयशण ने इस बारे में पत्रकारों से कहा कि आज के समय पर पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हैं। पर ऐसे में राम मंदिर के निर्माण कार्य में देरी होना बेहद आश्चर्यजनक बात है।

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