उत्तर प्रदेश के फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीटों पर जारी मतगणना के शुरुआती रुझानों के बाद केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा में आंतरिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। दोनों सीटों पर यूपी के विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बीजेपी के उम्मीदवार से आगे हैं। काउंटिंग के बीच में ही उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात भी नहीं की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर में सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद भारी मतों से आगे हैं। इसे बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट भी मानी जाती है। महेंद्र नाथ पांडे दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा करेंगे। बताया जाता है कि नए गठबंधन से पैदा राजनीतिक समीकरण पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

उपचुनाव के लिए चिर प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाली सपा और बसपा ने हाथ मिला लिया था। ऐसे में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले देश के सबसे बड़े राज्य में बने नए राजनीतिक समीकरण ने बीजेपी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। उपचुनावों में नए गठजोड़ के सफल होने पर उसे आने वाले लोकसभा चुनाव में भी आजमाया जा सकता है। हालांकि, बसपा सुप्रीमो मायावती पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि सपा-बसपा का गठबंधन सिर्फ फूलपुर उपचुनाव के लिए ही है। बता दें कि गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ पांच बार से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं, वहीं फूलपुर में वर्ष 2014 में पहली बार कमल खिला था।

यूपी में हैं लोकसभा की 80 सीटें: भारतीय राजनीति में ऐसा माना जाता है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है। देश के सबसे बड़े राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 71 सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी को लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था। लोकसभा चुनाव में तकरीबन 12 महीने का वक्त शेष है, ऐसे में दो महत्वपूर्ण सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन और सपा और बसपा के बीच गठजोड़ से पैदा हुए नए राजनीतिक समीकरण ने बीजेपी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। भाजपा 2014 के प्रदर्शन को दोहराना या 71 सीटों के जादुई आंकड़ों तक पहुंचने की कोशिश करेगी। आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत कुछ उत्तर प्रदेश पर ही निर्भर करेगा।