उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार के मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल के तहत शनिवार को 21 मंत्रियों और राज्यमंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल में कुल नौ मंत्रियों को प्रोन्नति दी गई है जबकि दो कैबिनेट और दस राज्यमंत्रियों समेत कुल 12 नए मंत्रियों को शामिल किया गया है।
राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन में आयोजित समारोह में पांच काबीना, आठ स्वतंत्र प्रभार प्राप्त राज्यमंत्रियों और आठ राज्यमंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। साल 2012 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ हुई सपा सरकार का यह छठा मंत्रिमंडल विस्तार है। इसके साथ ही अखिलेश मंत्रिमंडल में 26 काबीना, 10 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 22 राज्यमंत्री समेत कुल 58 सदस्य हो गए हैं।
स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री अरविंद सिंह गोप और राज्यमंत्री कमाल अख्तर और विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह को काबीना मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई। इसके अलावा बलवंत सिंह रामू वालिया और साहब सिंह सैनी के रूप में नए मंत्रियों ने भी काबीना मंत्री की शपथ ली। रामू वालिया का चयन चौंकाने वाला है क्योंकि वे राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। वे पूर्व में एचडी देवगौड़ा की अगुआई वाली केंद्र की तत्कालीन सरकार में श्रम मंत्री रह चुके हैं।
इसके अलावा खादी और ग्रामोद्योग राज्यमंत्री रियाज अहमद, वन राज्यमंत्री फरीद महफूज किदवई, पर्यटन राज्यमंत्री मूलचंद चौहान, प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री रामसकल गुर्जर, स्वास्थ्य राज्यमंत्री नितिन अग्रवाल और ऊर्जा राज्यमंत्री यासिर शाह को प्रोन्नति देकर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ दिलाई गई।
मदन चौहान और सैयदा शादाब फातिमा को स्वतंत्र प्रभार वाले नए राज्यमंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इन दोनों ने भी शपथ ग्रहण की। इसके अलावा राधेश्याम सिंह, शैलेंद्र यादव ललई, ओमकार सिंह यादव, तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय, सुधीर रावत, लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद, हेमराज वर्मा और वंशीधर बौद्ध को राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है।
इनमें से पवन पांडेय को छोड़कर बाकी सभी इस सरकार में पहली बार राज्यमंत्री बने हैं। पवन पूर्व में मंत्री रह चुके हैं लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया था। पिछले गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल से पांच कैबिनेट और तीन राज्यमंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया था। मंत्रिमंडल से हटाए गए कैबिनेट मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, अंबिका चौधरी, शिव कुमार बेरिया, नारद राय और शिवाकांत ओझा के अलावा राज्यमंत्री आलोक कुमार शाक्य, योगेश प्रताप सिंह और भगवत शरण गंगवार शामिल हैं।
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन, उद्यान खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पारस नाथ यादव, बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी, खाद्य व रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’, माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली, समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद, परिवहन मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, होमगार्ड्स मंत्री ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी और सार्वजनिक उद्यम मंत्री इकबाल महमूद के विभाग वापस ले लिए गए थे। ये सभी बिना विभागों के मंत्री बने रहेंगे।
पूर्व मंत्री शैलेंद्र यादव ललई 22 साल के राजनीतिक सफर में दूसरी बार राज्य मंत्री बने। 1993 में जनता दल से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले यादव लगातार तीसरी बार विधानसभा में पहुंचे हैं। 2003 में बसपा से बगावत कर सपा की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी। 25 अगस्त 2003 को बसपा से बगावत कर आठ विधायकों के साथ सपा की सरकार बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। मुलायम सिंह यादव ने पुरस्कार स्वरूप उन्हें राज्यमंत्री का पद दिया।
वहीं सहारनपुर के सपा विधायक साहब सिंह सैनी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ऐसे अकेले नेता हैं, जिन्हें अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल के छठे पुनर्गठन में कैबिनेट दर्जे का मंत्री बनाया गया। वफादारी के कारण सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव साहब सिंह सैनी की सुनते हैं। सैनी बिरादरी बसपा और भाजपा से जुड़ी हुई है। मंत्री बनाए गए साहब सिंह सैनी का अपनी पहली पत्नी के रहते दूसरी महिला से विवाह करने को लेकर देहरादून कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। लेकिन सपा आलाकमान ने सियासी जमीनी हकीकत को देखते हुए साहब सिंह सैनी को कैबिनेट मंत्री बनाया है।
राज्यपाल ने राजभवन में आयोजित समारोह में पांच काबीना, आठ स्वतंत्र प्रभार प्राप्त राज्यमंत्रियों और आठ राज्यमंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
कैबिनेट के लिए रामू वालिया का चयन चौंकाने वाला है क्योंकि वे राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। वे देवगौड़ा की केंद्र सरकार में श्रम मंत्री रहे हैं।
मत रुकवाइए राष्ट्रगान : शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राज्यपाल राम नाईक ने राष्ट्रगान की धुन शुरू कर चुके बैंड को बीच में ही रोक दिया। तय कार्यक्रम के अनुसार शपथ ग्रहण के बाद राज्यपाल को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस शपथ’ दिलानी थी और उसके बाद राष्ट्रगान बजना था। नाईक ने इशारे से सामने खड़े हुए लोगों से बैठने को कहा। तभी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नाईक का हाथ पकड़ा। असमंजस के बीच यह खबर बैंड तक पहुंची तो राष्ट्रगान बजना बंद हो गया। राज्यपाल ने फिर शपथ दिलाई और उसके बाद फिर से राष्ट्रगान शुरू हुआ।
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