मुंबई में 26/11 को हुए हमले के मामले का मास्टरमाइंड माना जा रहा तहव्वुर राणा जल्द भारत लाया जा सकता है। अमेरिका की एक अदालत ने उसकी Habeas Corpus (बंदी प्रत्यक्षीकरण) की याचिका खारिज कर दी है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के लिए उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

अमेरिका के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में यूनाइटेड स्टेट डिस्ट्रिक्ट के जज डेल एस फिशर ने 10 अगस्त के अपने आदेश में लिखा कि तहव्वुर राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी गई है। हालांकि राणा भी जल्दी हार मानता नहीं दिख रहा। उसने इस आदेश के खिलाफ नाइंथ सर्किट कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उसने रिट पर सुनवाई होने तक उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। राणा ने जून में अमेरिकी अदालत के उस आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिसमें उसे भारत प्रत्यर्पित किए जाने के अनुरोध को स्वीकार किया गया था।

अमेरिकी कोर्ट ने राणा की दोनों दलीलों को किया खारिज

जज फिशर ने अपने आदेश में कहा कि राणा ने अपनी याचिका में दो मूल दलीलें पेश की हैं। पहली दलील यह है कि उसे प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता, क्योंकि भारत उसके खिलाफ उन कृत्यों के लिए मुकदमा चलाना चाहता है, जिन्हें लेकर अमेरिका की एक अदालत ने उसे बरी कर दिया था। दूसरी दलील यह है कि सरकार ने यह बात साबित नहीं की है कि राणा ने भारत में वो अपराध किए जिन्हें लेकर उसके खिलाफ केस चलना है।

अमेरिकी कोर्ट ने दोनों ही दलीलें खारिज कर दीं। आदेश के खिलाफ राणा के वकीलों ने यूनाइटेड स्टेट कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द नाइंथ सर्किट में याचिका दायर की। अमेरिका सरकार ने राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को जून में आग्रह किया था कि ये खारिज की जाए।

एनआईए 26 नवंबर 2008 को मुंबई में किए गए हमलों में राणा की भूमिका की जांच कर रही है। मुंबई पुलिस ने अजमल कसाब नाम के आतंकी को जिंदा पकड़ा गया था, जिसे 21 नवंबर 2012 को भारत में फांसी की सजा दी गई। कई आतंकियों को सुरक्षाबलों ने हमलों के दौरान ढेर कर दिया था। मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकी नागरिक सहित कुल 166 लोगों की जान गई थी। इसमें पाकिस्तान की भूमिका सामने आई थी।