Writer : Shahid Pervez

Urdu Press : पिछले सप्ताह उर्दू प्रेस में दो ख़बरें खासतौर पर सुर्खियों में रहीं। यह खबरें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया केंद्रीय बजट 2023-24 और दूसरा हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद अडानी समूह की मंदी थी। जबकि एक अखबार ने भारत जोड़ो यात्रा पर भी बात की है। जहां इन उर्दू अखबारों ने अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा, छात्रवृत्ति, स्किल डवलपमेंट, आजीविका योजनाओं जैसे कोटे में भारी कटौती की ओर इशारा किया। वहीं दूसरी बड़ी चर्चा अडाणी को लेकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़ी थी। आइए जानते है कि किस अखबार ने इस दौरान क्या लिखा ?

अखबार सालार : अडाणी का मुद्दा

अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट पर लिखते हुए बेंगलुरु स्थित अखबार सालार ने 5 फरवरी को अपने संपादकीय में कहा है कि अमेरिका स्थित निवेशक अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से ही नरेंद्र मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है। यह रिपोर्ट कुछ हफ्ते पहले सामने आई थी। अखबार लिखता है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले समूह पर स्टॉक हेरफेर धोखाधड़ी जैसी बातें उजागर की थी। इस रिपोर्ट ने इसे सदी का सबसे बड़ा घोटाला कहा था। अखबार ने लिखा कि विपक्ष सरकार को सफाई देने के लिए कह रहा है और इस मुद्दे पर संसद प्रभावित रही है। अखबार ने अडाणी समूह की प्रीतिक्रिया को भी सामने रखा। जिसमें समूह ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिसर्च बदनाम करने की एक साजिश के तहत किया गया काम है।

अखबार उर्दू टाइम्स : अल्पसंख्यक बजट में कटौती का मुद्दा

उर्दू अखबार टाइम्स ने 2 फरवरी के अपने संपादकीय में, “अल्पसंख्यक बजट” को मुख्य आधार बनाया। मुंबई स्थित उर्दू टाइम्स ने लिखा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मिडिल क्लास को कुछ राहत दी है। यह राहत 7 लाख रुपये सालाना तक की आय पर टैक्स छूट देकर दी गयी है। बकि टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है। यह नोट करता है कि बजट ने शिक्षा क्षेत्र के लिए 1.12 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो 2022-23 के बजट में निर्धारित परिव्यय से 8 प्रतिशत अधिक है।

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जबकि अखबार ने अल्पसंख्यक बजट में हुई कटौती पर कुछ ऐसे आंकड़े पेश किए हैं जो काफी चौंकाने वाले हैं। अखबार लिखता है “केंद्र ने अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए आवंटन में भारी कटौती की है, यह कटौती विशेष तौर पर अल्पसंख्यक छात्रों के लिए दी जान वाली स्कोलरशिप्स में की गयी है। अल्पसंख्यक छात्रों के लिए पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए स्कोलरशिप को को इस साल 44 करोड़ रुपये की मामूली रकम में समेट दिया गया है। जबकि पिछले साल यह रकम 365 करोड़ रुपये थी।

अखबार आगे लिखता है “अल्पसंख्यक छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप को भी बड़ा झटका लगा है क्योंकि पिछले वर्ष में किए गए 1,425 करोड़ रुपये के आवंटन की तुलना में इसे 433 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस ही तरह अखबार अल्पसंख्यक बजट में कटौती के और भी कई आंकड़े पेश करता है।

अखबार इंकलाब : कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा

इंकलाब के नई दिल्ली संस्करण ने फरवरी के अपने संपादकीय में “यात्रा के बाद” पर ध्यान केन्द्रित कराया है। अखबार लिखता है “राहुल गांधी के विरोधी भी यह स्वीकार करेंगे कि यात्रा एक सफल यात्रा रही है जिसमें उनके ऐतिहासिक लंबे मार्च के दौरान बड़ी उत्साही भीड़ की भागीदारी देखी गई। इंकलाब अखबार लिखता है कि यात्रा पूरी हो गयी है लेकिन आगे क्या ? क्या यात्रा द्वारा बनाया गया माहौल कांग्रेस के लिए राजनीतिक और चुनावी लाभ देगा? क्या इससे पार्टी की सांगठनिक मशीनरी मजबूत होगी? क्या राहुल गांधी खुद को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं? आगे अखबार राहुल गांधी के भाषणों और उनमें इन सवालों के जवाब पर लिखता है।

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अखबार आगे लिखता है कि यात्रा से पैदा हुआ माहौल का फायदा उठाते हुए कांग्रेस को हर राज्य में लोगों तक पहुंचना चाहिए और पार्टी के समर्थन आधार को वापस लाने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि पुरानी पुरानी पार्टी ने अपनी मौलिक विचारधारा की ओर लौटते हुए खुद को फिर से स्थापित किया है और सभी समुदायों के कल्याण और प्रगति के लिए योजनाएं और नीतियां बनाई हैं और भारत को अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए इसके पास एक रोडमैप है।