इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के खिलाफ दर्ज उस केस को खारिज करने से इनकार कर दिया, जिसमें पीएम मोदी का चेहरा बिगाड़कर तस्वीर को सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया था। आरोप है कि एडमिन ने पीएम का चेहरा सूअर की तरह से बनाकर मजाक उड़ाया।
जस्टिस मोहम्मद असलम ने कहा कि रिकॉर्ड देखकर लगता है कि याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान मलिक एक ग्रुप एडमिन था। सारे मामले को देखते हुए उन्हें नहीं लगता कि कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने के लिए कहा गया था। पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत केस दर्ज किया था।
इमरान के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि यह संदेश उसके मुवक्किल ने नहीं बल्कि किसी और ने भेजा था। आरोपी केवल ग्रुप का व्यवस्थापक था। ऐसे में उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। उनकी अपील थी कि केस को खारिज किया जाना चाहिए। सरकारी वकील ने उनकी दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि ग्रुप एडमिन की जिम्मेदारी व्यापक है। यह नहीं कहा जा सकता है कि आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत आरोपी के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनाया गया था।
इमरान की तरफ से सुशील कुमार पांडेय पेश हुए। उनका कहना था कि उनके मुवक्किल को पुलिस बेवजह फंसा रही है। वो केवल एक ग्रुप के एडमिन था। उनका कहना था कि पुलिस को उस शख्स के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए जिसने वास्तविकता में संदेश भेजा था। चेहरा बिगाड़ने का अपराध भी उसने ही किया होगा। सरकारी वकील का तर्क था कि एडमिन के तौर पर उसे अपने आप से पुलिस को शिकायत करनी चाहिए थी। लेकिन उसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। उनका कहना था कि मोदी सारे देश के पीएम हैं।