यूपी में सीएम योगी का जलवा कायम है। असेंबली के बाद विधान परिषद यानि एमएलसी चुनाव में भी उनकी अगुवाई में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया है। बीजेपी ने 33 सीटों पर जीत हासिल कर ली है। केवल तीन सीटों पर बाहुबली उम्मीदवार उसका रास्ता रोकने में कामयाब रहे। लेकिन बीजेपी के मुफीद बात ये है कि अब विधानपरिषद में उसका बहुमत होगा। 40 साल बाद यूपी में ये करिश्मा हुआ है।

बीजेपी के करिश्मे के साथ सपा के लिए ये चुनाव भारी जिल्लत का कारण रहे। अखिलेश अपने गढ़ में ही अपनों का विश्वास खो बैठे। इटावा में शिवपाल तो रामपुर में आजमखान ने ही उनके सारे गेम प्लान पर पानी फेर दिया। चाहकर भी वो एक भी सीट पर अपने उम्मीदवारों को नहीं जिता सके। चुनाव के नतीजे देखकर साफ है कि अखिलेश की पार्टी पर पकड़ कमजोर है।

चुनाव मैदान में 95 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे थे। विधान परिषद की 36 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में नौ सीटों पर भाजपा के एमएलसी पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके हैं। बाकी 27 सीटों के लिए पिछले शनिवार को मतदान हुआ था। चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा था। कांग्रेस और बसपा ने चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। लेकिन चुनाव में सपा का सूपड़ा साफ हो गया।

40 साल बाद किसी पार्टी को बहुमत

यूपी में बीजेपी का भाग्य 15 साल बाद 2017 में चेता था। लेकिन लेकिन पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी उसे विधान परिषद में बहुमत नहीं मिल सका। इससे पहले भी भाजपा राज्य में सत्ता में रही पर परिषद में कभी बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर पाई। इस बार भाजपा को बहुमत मिल गया है। 40 साल में यह पहली बार है जब किसी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत होगा। इसके पहले 1982 में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत था।

100 सदस्यीय यूपी विधान परिषद में बहुमत का आंकड़ा 51 है। अभी भाजपा के 34 एमएलसी हैं। सपा के पास 17 सीटें हैं। बाकियों में बसपा के चार, कांग्रेस का एक, अपना दल (सोनेलाल) का एक सदस्य है। दो एमएलसी शिक्षक कोटे से हैं जबकि दो निर्दलीय और एक निषाद पार्टी का हैं। विधान परिषद की 36 सीटें सात मार्च को सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण रिक्त हो गई थीं। 37वीं सीट नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन के निधन की वजह से खाली हुई है। इनमें से 36 पर चुनाव हुए। हालांकि, नौ सीटें निर्विरोध जीतने के बाद पहले ही भाजपा के 43 एमएलसी हो चुके थे।

9 अप्रैल को 27 सीटों के लिए हुए मतदान के बाद आए नतीजों में ‌BJP ने 33 सीटों पर जीत हासिल की है। 2 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों के हिस्से गई हैं। एक सीट पर राजा भैया की जनसत्ता दल को जीत मिली है। इस चुनाव में सांसद, विधायक, सभी प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्‍य और अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्‍य और अध्यक्ष के साथ नगर निगम के पार्षद, मेयर, नगर पंचायतों के सदस्य और अध्यक्षों ने मतदान किया।

इन सीटों पर जीती भाजपा

घोषित परिणामों के मुताबिक भाजपा ने जो सीटें जीतीं उनमें देवरिया-कुशीनगर, इलाहाबाद, बहराइच, सुलतानपुर, मेरठ-गाजियाबाद, लखनऊ-उन्नाव, बस्ती-सिद्धार्थनगर, बाराबंकी, बलिया, फैजाबाद-अम्बेडकर नगर, गोंडा, बरेली-रामपुर और सीतापुर, मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, पीलीभीत-शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, गोंडा, फैजाबाद, बस्ती-सिद्धार्थनगर, गोरखपुर-महाराजगंज, देवरिया, आजमगढ़-मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फरुखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, मेरठ-गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर-सहारनपुर शामिल हैं। वाराणसी और आजमगढ़ सीट पर निर्दलीय जबकि प्रतापगढ़ सीट पर जनसत्ता दल-लोकतांत्रिक के उम्मीदवार जीते हैं।

पीएम के संसदीय क्षेत्र में बीजेपी को झटका तो राजा भैया भी चमके

भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करारा झटका लगा है। यहां निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह ने जीत हासिल की है। भाजपा तीसरे स्थान पर रही। इसके अलावा आजमगढ़ सीट पर भी निर्दलीय उम्मीदवार ने विजय प्राप्त की। कभी बीजेपी के एमएलसी रहे यशवंत सिंह के बेटे ने यहां परचम लहराया। यशवंत को बीजेपी छह साल के लिए पार्टी से निकाल चुकी है। प्रतापगढ़ सीट से अक्षय प्रताप जीते हैं।