Lok Sabha Chunav: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यूपी की करहल विधासभा सीट जीतने के बाद आजमगढ़ की लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए और बीजेपी को जीत मिली। सपा इस हार की यादों से अब तक परेशान है। उपचुनाव में अपनी हार के लिए जिम्मेदार कारण को अपने पक्ष में करने के बाद पार्टी की स्थिति बेहतर होती हुई नजर आ रही है।
साल 2022 के राज्य चुनावों में समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ लोकसभा सीट के आने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी। इतना ही नहीं, पार्टी ने पड़ोसी लालगंज के अंदर आने वाली पांच विधानसभा सीटों में भी जीत हासिल की थी। लेकिन इसके ठीक दो महीने के बाद वह उपचुनाव में हार गई।
गुड्डू जमाली समाजवादी पार्टी में शामिल
समाजवादी पार्टी का मानना है कि उसके उम्मीदवार धर्मंद्र यादव की हार का कारण बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली की मौजूदगी थी। इस वजह से मुस्लिम वोटरों का बटवारां हुआ और बीजेपी के उम्मीदवार और भोजपुरी फिल्म एक्टर दिनेश लाल यादव उर्फ की जीतने में काफी मदद हुई। अब जमाली समाजवादी पार्टी के साथ आ गए हैं। उनको एमएलसी का दर्जा मिल गया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 25 मई को छठे चरण में वोटिंग होने वाली है।
समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर से धर्मेंद्र को मैदान में उतारा है। उनको 2022 के उपचुनाव में करीब 3.04 लाख वोट हासिल हुए थे। वह निरहुआ से सिर्फ आठ हजार वोटों से ही पीछे रहे थे। वहीं, जमाली को 2.66 लाख वोट मिले। भाजपा ने एक बार फिर से निरहुआ पर ही दांव लगाया है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने मशहूद अहमद को मैदान में उतारा है। इनकी पत्नी पहले कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की प्रदेश महासचिव थीं।
समाजवादी पार्टी का गढ़
2014 में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और 2019 में पार्टी प्रमुख अखिलेश द्वारा जीती गई आजमगढ़ सीट पार्टी के लिए एक मजबूत सीट मानी जाती है। इस लोकसभा सीट पर सपा के मुख्य वोट बैंक, मुस्लमानों और यादवों की संख्या ज्यादा है। अनुमान है कि यादवों की आबादी 21 फीसदी, दलितों की 20 फीसदी और मुसलमानों की आबादी 17 फीसदी है। बाकी वोटर्स में ब्राह्मण और ठाकुर और गैर-यादव ओबीसी शामिल हैं। इनमें राजभरों सी संख्या सबसे ज्यादा है।
आजमगढ़ शहर में बस स्टेशन के पास स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले विकास यादव ने कहा कि धर्मेंद्र की जीत लगभग पक्की है। यादव उनके साथ हैं और अब मुस्लिम भी उनके साथ हैं। उपचुनाव में बड़ी संख्या में मुसलमानों ने बहुजन समाज पार्टी को वोट दिया। क्योंकि उसने गुड्डु जमाली के रूप में एक मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया था। इस बार बसपा का उम्मीदवार कमजोर है।
बीजेपी ने इस दावे को सिरे से खारिज किया कि सिर्फ जमाली के पाला बदलने से नतीजे पर असर पड़ेगा। पार्टी की आजमगढ़ इकाई के उपाध्यक्ष ब्रजेश यादव ने कहा कि यह एक मिथक है। 2022 में जब जमाली चुनाव लड़े तो उन्हें जाटव दलित वोट भी मिले क्योंकि उन्होंने बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा था। इस समय वह वोट भारतीय जनता पार्टी के खाते में जाएगी। निरहुआ को जीतने के लिए बीजेपी को खुद के जाटव वोटों के अलावा कुछ यादव वोटों की भी जरूरत है।
गुड्डू जमाली ने लोगों के लिए बहुत काम किया
आजमगढ़ के दलित बहुल गांवों में जाटव वोटर्स का कहना है कि वे बहुजन समाज पार्टी से जुड़े हुए हैं। उनका वोट सिर्फ उनकी बिरादरी के लिए ही है। आजमगढ़ के लखराव पोखरा गांव के लालजी कुमार ने कहा कि हम मायावती को वोट देते हैं। चाहे वह लड़ाई में हो या नहीं, हमारा वोट सिर्फ उसके लिए है। अगर इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं तो मुस्लिम भी पार्टी को बाहर रखने के लिए मतदान करने के लिए तैयार हैं। आजमगढ़ के तिलसदा गांव में अजीजी मस्जिद के केयरटेकर इम्तियाज अहमद ने कहा कि गुड्डू जमाली ने यहां के स्थानीय लोगों के लिए बहुत कुछ काम किया है। इसलिए पिछले चुनाव में कुछ मुसलमानों ने उन्हें वोट दिया था। इस बार हमारा वोट पूरे प्रदेश में सपा-कांग्रेस को होगा। मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं होगा।
आजमगढ़ ने सपा को बहुत कुछ दिया
धर्मेंद्र के लिए प्रचार कर रहे सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर भुवन भास्कर जोशी ने कहा कि पार्टी किसी भी चीज को हल्के में नहीं ले रही है। जोशी ने आगे कहा कि हम चौबीसों घंटे प्रचार कर रहे हैं। आजमगढ़ ने सपा को बहुत कुछ दिया है और आप राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे देख सकते हैं कि हमें यहां कितना समर्थन है। ऊंची जाति का वोट पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के पीछे है। तिलसदा गांव में किराने की दुकान के मालिक और ठाकुर बलवान सिंह ने कहा कि चाहे उम्मीदवार यादव हो या पंडित, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारा वोट हिंदू धर्म के लिए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ने आजमगढ़ में चुनाव प्रचार किया है। अपने भाषणों में ज्यादातर निरहुआ सपा पर परिवारवाद को लेकर हमला बोलते रहे हैं। सपा के नए वोट के मुद्दे पीडीए के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका नाम सही रखा है। पीडीए का मतलब है ‘परिवारवादी डकैत गठबंधन’। पांच यादव चुनाव लड़ रहे हैं और वे सभी उनके परिवार से हैं। वे समाजवादी नहीं, बल्कि परिवारवादी हैं। अगर आजमगढ़ से कोई स्थानीय यादव नेता चुनाव लड़ता तो वह यहीं रहता और लोगों के लिए काम करता। धर्मेंद्र ने कहा कि बीजेपी को मंहगाई, बेरोजगारी, किसान, स्मार्ट सिटी जैसे असली मुद्दों पर बात करनी चाहिए।