उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का कहना है कि अगर वे 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में सरकार बनाती हैं तो वे फिर न तो कोई स्मारक बनाएंगी और न ही कोई मूर्ति लगाएंगी। नेत्री ने कहा कि वे बस उत्तरप्रदेश की सूरत बदलेंगी। विदित हो कि बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में, मायावती ने कई पार्क,स्मारक,बनवाए थे। यहां तक कि उन्होंने खुद की मूर्ति भी लगवा दी थी। हालांकि मायावती का दावा था कि खर्च की आवश्यकता थी क्योंकि पिछली सरकारों ने दलित नेताओं के प्रति सम्मान नहीं दिखाया, जिनकी स्मृति में कभी कुछ भी नहीं बनाया गया था।

गौरतलब है कि सीएजी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि स्मारकों के निर्माण पर 66 करोड़ रुपये मायावती सरकार ने खर्च किए थे। यहां तक कि फरवरी 2010 में मायावती की सरकार ने मूर्तियों की सुरक्षा के लिए एक विशेष पुलिस बल की योजना को भी मंजूरी दे दी थी। मायावती के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर रिएक्ट किया। प्रतीक शर्मा(@Prateek23765640) ने लिखा, ‘हम तो बेवकूफ हैं ना जैसे 4 साल से चुपचाप बैठी हो कोरोना काल में एक आदमी की मदद नहीं की तुमने और चुनाव का वक़्त आया तो अपने महल से बाहर निकल के प्रदेश का विकास करेंगी। कोई बेवकूफ ही होगा जो आप पर विश्वास कर ले।’

यूजर (@IrfanKh16407711) ने लिखा, ‘बहोत देर कर दी आपने लोगों की जरूरत को समझने में।’ एक दूसरे यूजर (@shailrawat7) ने लिखा, ‘लोग अगर बीजेपी से नाराज़ है तो सिर्फ और सिर्फ बहन मायावती जी को ही वोट दे। समाजवादी पार्टी या कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट बर्बाद न करें।’ विक्रम चौधरी (@VikramC80852971) ने लिखा,’अब पछताए का होत है जब चिड़िया चुग गई खेत।’ राजन तिवारी (@Ashutos35174213) ने लिखा,’कुछ दिन पहले तो परशुराम की मूर्ति लगाने की बात कही जा रही थी। अब पलट गयी।’

बता दें कि मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं। वह बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सबसे पहले कुछ समय के लिए वे साल 1995 में सीएम रहीं और फिर 1997 में मुख्यमंत्री बनीं। फिर 2002 से 2003 तक इस पद पर रहीं और पहली बार 2007 से 2012 के बीच उन्होंने कार्यकाल पूरा किया।

गौरतलब है कि मायावती के उदय को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव द्वारा “लोकतंत्र का चमत्कार” कहा गया था। साल 1993 में कांशीराम ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और मायावती 1995 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। वह भारत में अनुसूचित जाति की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। 1997 में और 2002 में वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री थीं।