UP ATS: उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) के हाथ रविवार को बड़ी सफलता हाथ लगी है। यूपी एटीएस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई लिए काम कर रहा था। यूपी एटीएस ने रविवार को कहा कि आरोपी की पहचान मोहम्मद रईस के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का रहने वाला है। रईस कथित तौर पर अपने पाकिस्तानी आकाओं को भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया करा रहा था।
एटीएस मुख्यालय पर पूछताछ के बाद रईस की गिरफ्तारी की गई है। पुलिस के मुताबिक, गोंडा के तरबगंज इलाके का रहने वाला मोहम्मद रईस मुंबई में काम करने के दौरान अरमान के संपर्क में आया। रईस ने पुलिस को बताया कि अरमान ने भारत में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर उसे भड़काने की कोशिश की।
पूछताछ के दौरान रईस ने दावा किया कि उसने अरमान से कहा था कि वह काम के लिए सऊदी अरब जाना चाहता है। इसके बाद अरमान ने रईस से कहा कि वह उसका नंबर पाकिस्तान के एक व्यक्ति को देगा। इसके बाद उसे भारत के खिलाफ जासूसी करने के लिए राजी किया। रईस को बताया गया था कि जासूसी करने के बदले में उसे मोटी रकम दी जाएगी। वहीं अब एटीएस रईस के मोबाइल का डाटा रिट्रीव करने में लगी हुई है. इसके साथ ही अरमान और सलमान की गिरफ्तारी के लिए भी एटीएस की टीम मुंबई रवाना हो गई है।
एटीएस ने बताया कि 2022 में रईस को एक विदेशी नंबर से कॉल आई थी। उस शख्स ने खुद को हुसैन बताया और कहा कि वह एक पाकिस्तानी जासूस है। रईस को सैन्य छावनियों और प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी भेजने का काम सौंपा गया था। रईस ने जासूसी के लिए अपने दोस्त और कई अन्य लोगों को भी शामिल किया। इसके बदले में रईस को पाकिस्तानी जासूसों से 15 हजार रुपये मिले थे।
यूपी एटीएस ने कहा कि निगरानी और गुप्त सूचना के आधार पर उन्हें रईस की गतिविधियां संदिग्ध लगीं। इसके बाद उसे लखनऊ में एटीएस मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया।
स्पेशल डीजी (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने एक बयान में कहा, ‘गोंडा के रहने वाले रईस को उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार कर लिया। उसे यहां एटीएस मुख्यालय में बुलाया गया और पूछताछ के दौरान उसने जासूसी में शामिल होने की बात कबूल कर ली।’
रईस के खिलाफ लखनऊ एटीएस पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 121 ए (युद्ध छेड़ने या युद्ध छेड़ने का प्रयास करना) और 123 (युद्ध छेड़ने की योजना को सुविधाजनक बनाने के इरादे से छिपाना) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।