इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) नेता अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा विधानसभा स्वीकर को पत्र लिखकर कहा है कि अगर केंद्र 26 जनवरी तक कृषि कानूनों को रद्द नहीं करता है, तो उनके पत्र को राज्य विधानसभा से उनका इस्तीफा माना जाना चाहिए। अभय सिंह चौटाला ने स्पीकर को लिखे पत्र में कहा कि अगर 26 जनवरी तक केंद्र कृषि कानूनों को वापस नहीं लेता है, तो इस पत्र को राज्य विधानसभा से मेरा इस्तीफा माना जाना चाहिए। मालूम हो कि अभय चौटाला किसानों के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं।

पिछले हफ्ते, इनेलो नेता ने टिकरी सीमा का दौरा किया और किसान संगठनों के नेताओं से मुलाकात की, जो कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी किसान संगठन ने कृषि कानूनों की मांग नहीं की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ये “काले कानून” लाए।

बता दें कि पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र और किसान यूनियन के नेताओं ने, अब तक, कानूनों पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए आठ दौर की वार्ता की, लेकिन कोई बड़ी सफलता हासिल करने में असफल रहे। दोनों पक्षों के बीच 15 जनवरी को एक और बैठक आयोजित होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि केंद्र और किसानों के बीच कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध से वह बेहद निराश हैं। तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने केंद्र से पूछा कि क्या कानून पर कुछ समय के लिए रोक लग सकती है।

कोर्ट ने कहा,“हम नहीं जानते कि क्या बातचीत चल रही है?हमें यह कहते हुए खेद है कि केंद्र समस्या को हल नहीं कर पाया है। क्या फिलहाल कृषि कानूनों पर रोक लग सकती है? ”