फसलों को तबाह करने वाले टिड्डियों के झुंड भी अब राजनीति का मुद्दा बन गए हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की तुलना टिड्डियों से की तो उन्हीं के एक सहयोगी मंत्री कैलाश चौधरी ने टिड्डियों का प्रकोप बढ़ने का ठीकरा राजस्थान की कांग्रेस सरकार के सिर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने सहयोग नहीं दिया अन्यथा टिड्डियों पर तो पहले ही नियंत्रण हो जाता।

गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद पाकिस्तान से आए टिड्डियों के झुंड अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों तक पहुंच चुके हैं। गुरुग्राम और दिल्ली के हवाई अड्डे के आसपास पिछले दो दिनों से आसमान में मंडराते टिड्डियों के झुंड देख लोग हैरान रह गए। एक बार तो एक विमान को भी इस कारण उतरने में पांच मिनट का इंतजार करना पड़ा। मेरठ में तो जिला कलेक्टर अनिल ढींगरा ने टिड्डियों के संभावित हमले को देखते हुए शहर के लोगों को खिड़की दरवाजे बंद रखने की सलाह दी है। उनका कहना है कि घर में घुसने पर टिड्डियों को बाहर निकालना मुश्किल होता है।

जहां तक नकवी का सवाल है, वे कांग्रेस पर वार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बीच देश में एक तरफ टिड्डियां फसलों को नुकसान पहुंचा रही हैं तो दूसरी तरफ फिसड्डी दल देश को बदनाम कर रहा है। कोरोना के कारण देश में विवाह समारोह के तमाम जश्न तो टल गए पर वहां काम आने वाले डीजे अब जगह-जगह टिड्डियों को भगाने के काम आ रहे हैं। सरकार जहां फायर टेंडर, स्प्रे मशीनों और ड्रोन की मदद से प्रभावित इलाकों में कीटनाशक का छिड़काव कर टिड्डियों के खात्मे में जुटी है वहीं किसान टिड्डियों को भगाने के लिए तमाम तरीकों से शोर मचा रहे हैं। ढोल, नगाड़े और बर्तन बजाने से लेकर पटाखे तक फोड़ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में टिड्डियों का हमला आगरा, अलीगढ़ और मथुरा में हो चुका है। उन्नाव, कानपूर देहात और फर्रुखाबाद भी चपेट में आए हैं। बुलंदशहर से टिड्डियों के झुंड हवा के बहाव के साथ कासगंज, हाथरस और ओरैया तक जा पहुंचे हैं। किसान और कृषि विभाग के लोग इनके खात्मे के लिए जतन भी कर रहे हैं। पर फसलों को तो नुकसान पहुंचा ही है। खासकर मक्का, बाजरा, मूंग, सब्जियों और आम की फसल को टिड्डियां पलक झपकते सफाचट कर जाती हैं।

बरौली (अलीगढ़) के विधायक दलवीर सिंह ने अपने इलाके में नुकसान होने की पुष्टि की है। आगरा में ये टिड्डी दल राजस्थान के धौलपुर से शनिवार को आए। टिड्डियों के आक्रमण के बारे में केंद्र सरकार के टिड्डी चेतावनी संगठन ने मई में ही आगाह कर दिया था। दरअसल पाकिस्तान से आई ये टिड्डियां भारत में पहली बार 11 मई को श्रीगंगानगर (राजस्थान) में देखी गई थी।

पर इनसे निपटने के लिए पूर्णबंदी के कारण सरकारी स्तर पर समय रहते वैसी व्यवस्था नहीं हो पाई, जो जरूरी थी। टिड्डियां हरी पत्तियों, फूल और बीज को ज्यादा चाव से खाती हैं। हर टिडडी एक दिन में अपने वजन से ज्यादा खा जाती है। कुछ घंटों में ही ये झुंड घास तक को भी खेत में सलामत नहीं छोड़ती।

जानकारों का कहना है कि टिडडी झुंड मक्का, कपास, ईख और सब्जियों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। ईख को नुकसान की आशंका के मद्देनजर सरकारी और निजी दोनों चीनी मिलों ने भी इनसे निपटने के लिए किसानों को सहयोग की पेशकश की है।

उधर केंद्रीय कीटनाशी प्रबंध संस्थान ने सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि टिड्डियों के प्रकोप को हल्के में न आंका जाए और इनसे निपटने के लिए सेना का सहयोग लेना चाहिए। असली खतरा यह है कि मानसून शुरू हो चुका है और यह टिड्डियों के लिए प्रजनन का अनुकूल मौसम माना जाता है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में तो कुछ स्थानों पर टिड्डियां अंडे दे भी चुकी हैं।