Amit Shah on History Writers: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के इतिहासकारों से अतीत के गौरव को जीवित करने की अपील की है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ऐसा करने से देश के उज्जवल भविष्य के निर्माण में मदद मिल सकेगी। अमित शाह ने कहा, “इतिहास सरकारों द्वारा नहीं बनाया जा सकता है। समाज से इतिहास को उसके वास्तविक रूप में पेश करने की पहल करने का आग्रह किया।”

विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ भारतीय राजाओं द्वारा लड़े गए कई युद्धों को भुला दिए जाने पर शोक व्यक्त करते हुए शाह ने कहा कि उन लड़ाइयों – जैसे असम में अहोम राजाओं और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में शिवाजी के नेतृत्व वाले मराठों द्वारा की गई – ने भारत को वह स्थान दिया है जहां वह अभी है। केंद्रीय गृहमंत्री राजस्थान के इतिहास में गहरी रुचि रखने वाले ईएनटी सर्जन ओमेंद्र रतनू की किताब महाराणास: धर्म के लिए एक हजार वर्ष का युद्ध” के पुस्तक विमोचन के अवसर पर एनडीएमसी हॉल में ये बातें कहीं।

वामपंथियों हिन्दू राजाओं के शासन को किया नजरअंदाज

शाह ने कहा कि अगली पीढ़ी के लिए इन लड़ाइयों के बारे में लिखने की प्रक्रिया को कोई नहीं रोक सकता। शाह ने कहा कि इतिहास की नई किताबों के माध्यम से तथ्यों को सामने लाने का प्रयास झूठ फैलाने वालों की तुलना में ज्यादा बड़ा और तेज होना चाहिए ताकि यह “प्रभावी हो सके”। बीजेपी और आरएसस दोनों ही इस बात का आरोप लगाते हैं कि इतिहास की किताबें वामपंथी इतिहासकारों ने लिखी हैं। जिन्होंने हिन्दू राजाओं और उनके बेहतरीन शासन को हमेशा नजरअंदाज किया।

सम्राट पृथ्वीराज की स्क्रीनिंग पर पहुंचे थे अमित शाह

शाह लेखकों और फिल्म निर्माताओं से “सच्चाई को सामने लाने वाले तथ्यों पर काम करने का आग्रह किया है।” गृह मंत्री अप्रैल में ओडिया स्वतंत्रता सेनानी बक्सी जगबंधु के जीवन पर आधारित टेलीविजन धारावाहिक ‘विद्रोही’ की स्क्रीनिंग में मौजूद थे और उन्होंने पिछले सप्ताह शासक पृथ्वीराज चौहान की बायोपिक ‘सम्राट पृथ्वीराज’ की विशेष स्क्रीनिंग के मौके पर भी पहुंचे थे। उन्होंने पहले फिल्म निर्माताओं से आग्रह किया था कि गुमनाम नायकों पर ऐसी और फिल्में और धारावाहिक बनाए जाएं।

शाह ने इतिहासकारों को दी बधाई

शाह ने इतिहास उन लेखकों को बधाई दी जिनकी किताबें भारत के सबसे बड़े राजवंश,’मेवाड़ के सिसोदिया’ के बारे में सच्चाई को उजागर करने का दावा करती हैं। इन लेखकों ने अपनी किताबों के माध्यम से बताया कि एक हजार वर्षों तक आक्रमणकारियों से युद्ध लडे़ गए और तब भी आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था। भले हो वो चौतरफा अपने दुश्मनों से घिरे रहें हों। शाह ने ऐसे योद्धाओं के संघर्षों के बारे में ‘संदर्भ ग्रंथ’ लिखने की सलाह दी है।

अमित शाह ने इतिहासकारों से की अपील

शाह ने कहा, “अगर हम इतिहास पर शोध करना और लिखना शुरू करते हैं तो यह बहस शुरू हो जाएगी और युवा पीढ़ी इसके बारे में चर्चा शुरू कर देगी। कई महत्वपूर्ण घटनाओं को भुला दिया गया क्योंकि उन पर समय के साथ धूल जमती चली गई। हमें अब उनका पता लगाना होगा और समाज को जगाने के लिए ऐसे लोगों को सामने लाना होगा।” शाह ने कहा, जिन राजाओं ने अपने युद्ध कौशल से आक्रमणकारियों को राज्यों में घुसने का भी अवसर नहीं दिया था इतिहासकारों ने उन्हें भी ठीक से नहीं दर्ज किया है।

कई राजवंशों को इतिहासकारों ने गुमनाम कर दिया

शाह ने इतिहास लेखकों से मौर्य, पांड्य, चालुक्य, अहोम और गुप्त आदि राजवंशों पर भी किताबें लिखने का आग्रह किया है। शाह ने कहा इतिहास लिखने वालों ने इन राजवंशों की अनदेखी की है। इनके बारे में कोई संदर्भ पुस्तकें भी नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा, अब हमें बीती हुई बातें भुलाकर लोगों के सामने वास्तविक इतिहास को लिखना चाहिए धीरे-धीरे जिस इतिहास को हम झूठा समझते हैं वो अपने आप समाप्त हो जाएगा। लांकि सरकार ने “वास्तविक इतिहास” के दस्तावेजीकरण की पहल शुरू कर दी है। शाह ने आगे कहा, यह अभ्यास तभी सफल होगा जब समाज इसे एक मिशन के रूप में लेगा।

वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 का सच सामने नहीं आता

अगर वीर सावरकर नहीं होते तो मैं आपको बता सकता हूं कि 1857 का सच सामने नहीं आता। शाह ने आगे बताया, “… क्रांतियां जो उस समय पराजित हो सकती थीं, उनमें समाज और लोगों को जगाने की क्षमता है। पद्मावती के बलिदान ने महिलाओं और पुरुषों को अपना सिर ऊंचा रखकर जीवन जीने की ऊर्जा दी थी। इतिहास का दस्तावेजीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि घटनाओं या विद्रोहों के परिणाम महत्वहीन हैं, लोगों पर इसके प्रभाव की आजमाइश करनी चाहिए।”