राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की। यह बैठक दिल्ली स्थित कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद में करीब एक घंटे से अधिक समय तक चली। बैठक बंद कमरे में आयोजित की गई थी। इस बैठक में मोहन भागवत के साथ संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल, राम लाल और इंद्रेश कुमार भी मौजूद थे।
वहीं इस बैठक को लेकर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम इलियासी साहब ने संघ प्रमुख मोहन भागवत जी को कई दिन पहले आमंत्रित किया था। इसलिए उनसे मुलाकात हुई है। आरएसएस के सरसंघचालक हर वर्ग के लोगों से मिलते हैं। यह निरंतर सामान्य संवाद प्रक्रिया का एक हिस्सा है।”
वहीं बैठक के बाद इमाम उमर अहमद इलियासी ने एक ऐसा बयान दे दिया, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर नई चर्चा शुरू हो गई। इमाम उमर अहमद इलियासी बैठक के बाद एक समाचार चैनल से बात कर रहे थे। इस दौरान रिपोर्टर ने उनसे मोहन भागवत के हिन्दू-मुस्लिम के एक डीएनए वाले बयान पर सवाल पूछ लिया, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि जो उन्होंने (मोहन भागवत) कहा वो सही है। क्योंकि वो राष्ट्रपिता हैं, इसलिए उन्होंने जो कहा वो सब ठीक है।
मोहन भागवत सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए पिछले कुछ समय से मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ के साथ मुलाकातें कर रहे हैं और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। यह बैठकें संघ के विचारों के प्रचार और धार्मिक समावेश के विषय को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जा रही है। बता दें कि करीब एक महीने पहले आरएसएस प्रमुख ने पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व एएमयू कुलपति ज़मीर उद्दीन शाह, आरएलडी नेता शाहिद सिद्दीकी और व्यवसायी सईद शेरवानी शामिल थे।
इस बैठक को लेकर एस वाई कुरैशी नेइंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा था कि उन्होंने (मोहन भागवत) हमें बताया कि लोग गोहत्या और काफिर (गैर-मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले) जैसे शब्दों से नाखुश थे। जवाब में हमने कहा कि अगर कोई गोहत्या में शामिल है तो उसे कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए।